Tuesday, July 1, 2025
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अब AAP के नंबर-2 मनीष सिसोदिया भी जेल में, केजरीवाल के सामने क्या होगी चुनौती?

रविवार को आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को CBI ने गिरफ्तार कर लिया. सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका आज सुबह ही जताई थी. सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी से लेकर सरकार तक की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में बंद हैं और अबसिसोदिया की गिरफ्तारी से अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक चुनौतियां बढ़ गई हैं.

दिल्ली शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई सोमवारसुबह उन्हें अदालत में पेश करेगी. सिसोदिया को सीबीआई ने रविवार पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी गिरफ्तारी की आशंका आज सुबह ही जताई थी. उन्होंने कहा था कि वह 7-8 महीने जेल में रहने के लिए तैयार हैं.

मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता हैं और पार्टी के रणनीतिकारों में से एक हैं. दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद दूसरे सबसे ताकतवर नेता हैं. सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी से लेकर सरकार तक की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में बंद हैं और अब सिसोदिया की गिरफ्तारी से अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक चुनौतियां बढ़ गई हैं.

केजरीवाल सरकार की बढ़ेगी चुनौती
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पास दिल्ली सरकार के करीब 18 मंत्रालयों का जिम्मेदारी है, जिसमें दिल्ली के सरकार के वित्त मंत्रालय से लेकर शिक्षा, योजना, रोजगार, लोक निर्माण (पीडब्ल्यूडी), पर्यटन, उद्योग, बिजली, शहरी विकास, पानी जैसे विभाग शामिल हैं. सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा भी मनीष सिसोदिया संभाल रहे थे. सिसोदिया के गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल सरकार के डेढ़ दर्जन विभागों का कामकाज प्रभावित होगा, जो अरविंद केजरीवाल के लिए चिंता का सबब बन सकती है.

दिल्ली सरकार के कामकाज पर असर
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद के पास किसी तरह का कोई विभाग नहीं रखा है. दिल्ली सरकार के तमाम कामकाज वाले विभागों जिम्मेदारी मनीष सिसोदिया संभाल रहे हैं, जिनके गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल सरकार के विकास कार्यों पर असर पड़ना तय है. दिल्ली सरकार के सारे अहम मंत्रालय मनीष सिसोदिया के पास हैं और उनकी गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो गई हैं और नए सेशन के एडमिशन होने हैं. इस तरह से दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के कामों पर असर पड़ेगा. इतना ही नहीं स्वास्थ्य, बिजली और पीडब्ल्यूडी जैसे अहम विभाग भी उनके पास हैं, जिनके जरिए ही दिल्ली केविकास मॉडल गढ़ा गया है और फिलहाल कैबिनेट में ऐसा कोई चेहरा नहीं है.

AAP के विस्तार की राह में चुनौती
आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार का चेहरा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भले ही हों, पर मनीष सिसोदिया की भूमिका भी कम नहीं.है. पार्टी के गठन से लेकर दिल्ली सरकार के कामकाज तक को जमीन पर अमलीजामा पहनाने और अरविंद  केजरीवाल के सबसे भरोसमंद मनीष सिसोदिया माने जाते हैं. यह बात जगजाहिर है कि आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के बाद सबसे बड़ा चेहरा और कद सिसोदिया का है. दिल्ली में पार्टी से लेकर सरकार तक के कामकाज को देखने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय विस्तार की योजना को अंजाम देने का काम सिसोदिया करते हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश में इसी साल चुनाव है और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में पार्टी जुटी हुई है. सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी के विस्तार की राह में सियासी चुनौती खड़ी हो सकती है.

केजरीवाल के लिए रणनीतिकार की कमी
मनीष सिसोदिया सिर्फ सरकार के साथ-साथ पार्टी के रणनीतिकार के तौर पर भी माने जाते हैं. सिसोदिया पार्टी की रणनीति बनानेऔर उसे अंजाम तक पहुंचाने में जुटे रहते थे. खासकर प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आशुतोष और कुमार विश्वास के छोड़ने के बाद पार्टी में मनीष सिसोदिया और  संजय सिंह को ही अरविंद केजरीवाल के रणनीतिकार के तौर पर देखा जाता था. सिसोदिया की गिरफ्तार से पार्टी में रणनीति पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि केजरीवालदिल्ली का कामकाज देखेंगे या फिर पार्टी की रणनीति?

पंजाब से दिल्ली तक घिरी पार्टी
आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं, पार्टी पंजाब से लेकर दिल्ली तक घिर गई है. दिल्ली में सत्येंद्र जैन

पहले से ही जेल में है और अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. यह चिंता इसीलिए भी ज्यादा है, क्योंकि पार्टी के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इस तरह से कट्टर ईमानदारी वाली पार्टी की छवि सवालों के घेरे में है और विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.

पंजाब में भी कई विधायक और मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. इतना ही नहीं पंजाब में जिस तरह से खलिस्तानी समर्थक फिर से सिर उठाने लगे हैं. हाल में अमृतसर में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला किया, जिसमें छह पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं.तलवारों और बंदूकों के साथ प्रदर्शन किया. उससे भी विपक्ष को सवाल खड़े करने का मौका मिल गया है. इस तरह से पार्टी से लेकर सरकार तक के सामने चुनौती बढ़ गई

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