छत्तीसगढ़ में फिल्म आदिपुरुष को लेकर सियासत तेज हो गई है। केन्द्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने प्रदेश में फिल्म बैन करने की मांग की है। जिसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, सबसे अच्छा तरीका है कि लोग फिल्म को देखने ही न जाएं। क्योंकि फिल्म के बारे में सब कुछ सुन लेने के बाद जबरदस्ती देखने जाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पैसा आपका, समय आपका है, आप किस में व्यतीत करना चाहते हैं।
भूपेश बघेल ने आगे कहा, जब इस तरह से हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात होती है तब सेंसर बोर्ड को ये देखना चाहिए था कि जिस तरह से हमारे आराध्य हैं उनके मुख से इस तरह के डायलॉग बुलवाना सही नहीं है, और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
भूपेश बघेल फिल्म को लेकर जता चुके हैं आपत्ति
भूपेश बघेल ने फिल्म में पात्रों के चित्रण और डायलॉग को लेकर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि, फिल्म में बजरंग बली से बजरंग दल वाले शब्द बुलवाए गए हैं। हमारे जितने भी आराध्य देव हैं उनकी छवि बिगाड़ने का काम हो रहा है। पहले भगवान राम और हनुमान जी का भक्ति से सराबोर सौम्य चेहरा दिखाई देता था। ये तस्वीर हमारे पुरखों ने बनाई थी।लेकिन इस फिल्म में भगवान राम को युद्धक राम और बजरंगबली को एंग्री बर्ड के तौर पर दिखाया जा रहा है।
कबीर स्मृति महोत्सव में शामिल हुए
रविवार को भूपेश बघेल अंबेडकर अस्पताल के अटल बिहारी वाजपेयी ऑडिटोरियम में आयोजित सद्गुरू कबीर स्मृति महोत्सव में शामिल हुए। यहां सीएम ने मंच से कहा, सुख की खोज हमारे देश में हमारे संत महात्मा ऋषि मुनि विद्वानों ने की और जितने संत महापुरुष हिंदुस्तान में है उतने कहीं नहीं। इसी कारण से अनेक पंथ संप्रदाय विचारधारा आपको भारत में मिलेंगे। सीएम ने कहा कि भक्ति का जो आंदोलन चला वह हमारे लिए भक्तिकाल था। जिसमें अनेक भक्ति काल के संत हुए हमको एक नई दिशा दे गए।
भक्ति काल के संत इंसानों को ईश्वर के समक्ष खड़ा कर दिया। लेकिन समस्या वहीं से शुरू होती है। जब आप सीमित चीजों में सुख खोजेंगे। तो आपको सीमित समय के लिए सुख मिलेगा, जब असीमित चीजों से वस्तु से आप सुख हो जाएंगे तो आपको सुख उसमें मिलेगा। हमारी समस्या दो प्रकार की होती है तन और मन की , तन बीमार पड़ जाए तो हम दवाई ले लेते हैं लेकिन मन बीमार हो जाए तो तो उसको नापने की कोई मशीन नहीं है। मन की समस्या और बीमारी है उसको दूर करना हो तो गुरुजनों के पास जाना होता है।
कबीर का बड़ा प्रभाव छत्तीसगढ़ में रहा है कबीर की जुबानी छत्तीसगढ़ के कण कण में बसा है। इसीलिए सबसे ज्यादा कबीर पंथी हमारे छत्तीसगढ़ में है। यही कारण से यहां के लोग कम चीजों में संतुष्ट होने वालों में से हैं, और उनके जीवन में सरलता और सहजता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंच से आगे कहा, छत्तीसगढ़ को पहले नक्सलियों के नाम से जाना जाता था। लोग पहले सोचते थे या तो लोग यहां पर कोयला खदान या फिर अन्य खदानों के नाम से जानते थे। लेकिन छत्तीसगढ़ में बहुत कुछ है। यहां राम, बुद्ध , कबीर मिलेंगे। इसलिए हमारा दायित्व है जो छत्तीसगढ़ में है उसे दुनिया के सामने लाएं।