मुंबई। एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने 18 विधायकों के साथ बगावत कर दी है और शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए हैं। उन्होंने पार्टी पर भी दावा किया है और एनसीपी के चुनाव चिह्न पर आगामी चुनाव लडऩे की बात कही है। उनके इस फैसले से शरद पवार और उनकी पार्टी को गहरा झटका लगा है। वैसे, शरद पवार डैमेज कंट्रोल में जुट गये हैं। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि कहीं एनसीपी का हाल भी शिवसेना जैसा ना हो जाए।
मौजूदा विधानसभा में एनसीपी के 53 विधायक हैं। दलबदल कानून से बचने के लिए अजित पवार को दो-तिहाई विधायकों का समर्थन चाहिए। यानी उन्हें कम से कम 36 विधायकों की जरुरत है। अजित पवार 18 विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे थे और लगभग 40 से 43 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि शरद पवार के साथ फिलहाल 12-14 विधायक ही हैं। ऐसे में अगर ये दावे सही निकले, तो एनसीपी का हाल भी शिवसेना की तरह हो सकता है। दो तिहाई विधायकों और सांसदों का समर्थन मिलने के बाद वो पार्टी पर भी दावा कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक एनसीपी के 5 सांसदों में से 3 अजित पवार के साथ हैं। ऐसे में शरद पवार के लिए ये कम बड़ी चुनौती नहीं है।