बलौदाबाजार:-कर्मचारीअधिकारी फेडरेशन जिला बलौदाबाजार के पूर्व जिला संयोजक व भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य टेसूलाल धुरंधर ने मनरेगा कर्मचारियों की वर्तमान दशा पर अफसोस जताते हुए कहा कि जो मरे न मोटाए वही मनरेगा कर्मी कहाए। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी के नाम पर अपनी जवानी खपा देने वाले, नरवा. गरवा. घुरवा. बारी और गोधन न्याय योजना के साथ साथ ‘रीपा’ के संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले, 2018 के बाद भूपेश सरकार के सत्ता में आने के बाद वेतन वृद्धि में ‘फूटी’कौंड़ी का लाभ नहीं पाने वाले, कोरोना काल में ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए 200 से अधिक साथियों को खोने वाले,सम्मानजनक वेतनमान व सेवाशर्तों की मांगों को लेकर भीषण गर्मी में दंतेवाड़ा से राजधानी रायपुर तक 400 कि मी की लंबी दांडी यात्रा करने वाले,अल्प वेतनभोगी मासिक वेतन में गुजारा करने वाले इन्हीं कर्मचारियों के लिए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय अपने जनघोषणा पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में नियमितीकरण का वादा किया था।
मगर लंबे इंतजार के बाद सरकार की अकर्मण्यता व वादाखिलाफी के विरुद्ध अपनी मांगों के समर्थन में आठ माह पहले 66 दिनों तक हड़ताल में मनरेगा कर्मी डंटे रहे, हड़ताल से डरकर भूपेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा तीन माह में मांग पूरी करने का झूठा आश्वासन देकर हड़ताल वापस करा दिए मगर आज तक इन कर्मियों को हड़ताल अवधि का वेतन भुगतान भी नहीं किया गया है। पड़ोसी राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों से भी कम 5000 – 6000 मानदेय पर वर्षों से कार्यरत मनरेगा कर्मी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले कृषक, मजदूर, अजा,अजजा,पिछड़े व गरीब घर के पढ़े-लिखे परिवारों से संबंधित छत्तीसगढ़िया मूल के ही हैं। छत्तीसगढ़िया हितों की ‘ढोल’ पीटने वाली भूपेश सरकार इनके न्यायोचित मांगों को शीघ्र पूरी कर अपना वचन निभाए नहीं तो मनरेगा कर्मी सरकार से हिसाब करने तैयार बैठे हैं..

