छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई हैं। अधिकारियों ने प्रोग्रेस दिखाने के लिए 1000 से ज्यादा अधूरे आवासों को पूर्ण बताकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सामूहिक गृह प्रवेश करा दिया। इनमें कई ऐसे मकान भी शामिल थे, जिनकी छत की ढलाई तक नहीं हुई थी।यह मामला मैनपुर विकासखंड में उजागर हुआ है, जहां आवास पोर्टल में ऑनलाइन एंट्री की तकनीकी व्यवस्था के बावजूद अधूरे मकानों को पूर्ण दर्शाया गया।
गरियाबंद जिले में 1 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों जिन आवासों का गृह प्रवेश कराया गया था.उसमे सेकड़ो आवास आज भी अधरे है.मजेदार बात तो यह है की कई ऐसे आवास है जिनकी नींव रखे बिना ही सहायक सचिव और आवास मित्र ने मजदूरी के पैसे निकाल लिए है ।

इस गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने गृह प्रवेश की सूची का मिलान किया। मैनपुर जनपद सदस्य परमेश्वर जैन ने बताया कि उनके निर्वाचित क्षेत्र के सरईपानी पंचायत में गोवर्धन नागेश, कन्हल राम और गजेंद्र के आवास अधूरे थे। इसी तरह उसरी जोर में दुर्गा टांडिया और गुढ़ियारी में सुखचंद का आवास भी अपूर्ण पाया गया। जैन के मुताबिक, सामूहिक गृह प्रवेश की सूची में शामिल 40 से ज्यादा आवासों में से आधे अधूरे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मनरेगा से मिलने वाली मजदूरी राशि भी दूसरे के नाम पर निकाल ली गई, जिससे हितग्राहियों का काम रुका हुआ है। परमेश्वर जैन ने दावा किया कि मैनपुर जनपद की सामूहिक आवास प्रवेश सूची में शामिल 3700 नामों में से 1000 से ज्यादा आवासों की छत की ढलाई तक नहीं हुई है।

आपको बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ दौरे पर थे। जहां उन्होंने प्रदेश के 3.51 लाख हितग्राहियों का वर्चुअली गृहप्रवेश कराया था। इसमें गरियाबंद जिले के भी पीएम आवास शामिल थे। इस दौरान उन्होंने पीएम आवास योजना- ग्रामीण के 3 लाख लाभार्थियों को 1200 करोड़ की किस्त भी जारी की थी। धनोरा गांव में नए गृह प्रवेश बताए गए हितग्राही प्रधान सिंह के आवास का पूरा कॉलम तक खड़ा नहीं था, दुर्जन के आवास के छत की ढलाई तक नहीं हुई है। इस पंचायत में अभी भी 11 आवास अपूर्ण है ।
इसी तरह मुढगेल माल के डोलेगा पारा से नए गृह प्रवेश करने वाले भंवर सिंह आज भी अपने पुराने घर पर रहते है । नए आवास के बारे में पूछने पर पुराने आवास से लगे एक बरामदे को दिखाया जिसकी ढलाई तक नहीं हुई थी।बातचीत में पता चला कि आवास मित्र ने इनसे आधे-आधे रकम रखने के सहमति पर पूर्ण आवास का रिकॉर्ड दुरुस्त कर लिया। यहां ऐसे 6 हितग्राहियों के आवास अधूरे थे, जिन्हें गृह प्रवेश करना बताया गया।
धनोरा पंचायत 12 से ज्यादा ग्रामीणों ने इस गड़बड़ी को पकड़ा। अगस्त महीने में जनपद, जिला से लेकर प्रदेश तक कई बार शिकायत की। हितग्राहियों ने अपने बयान में कहा कि सहायक सचिव और आवास मित्र ने उनके यहां काम नहीं करने वाले मजदूरों के नाम मजदूरी राशि निकाल ली। लेकिन मामले में न तो कार्रवाई हुई न ही हितग्राहियों के हक के लाखों रुपए की मजदूरी वापस मिली। ग्रामीणों ने बताया कि दूसरे ब्लॉक में रहने वाले जोगेश्वर पिता बलि राम के आवास की नींव तक रखे बगैर 1.20 लाख रुपए फर्जी आहरण कर लिए। आरोप है कि मनरेगा की डेटा एंट्री में गड़बड़ी हुई तो जनपद से लेकर जिला तक मजदूरी की राशि का बंदरबांट हुआ।
मैनपुर जनपद पंचायत सीईओ श्वेता वर्मा ने कहा कि जिन आवासों की स्लैब ढलाई हुए, फ्लोरिंग प्लास्टर हो गए थे ऐसे को रिपोर्ट बनाते समय पूर्ण मान लिए थे, अगर स्लैब ढलाई नहीं हुई उसे भी पूर्ण बताया गया है तो जांच कराएंगे। समय-समय पर मिली शिकायतों की जांच कराई गई है। धनोरा में मनरेगा मजदूरी गड़बड़ी के मामले की भी जांच हुई थी। FIR भी हुई है। पुलिस कार्रवाई करेगी।

