00 यह बहुत ही जटिल एवं दुर्लभ बीमारी है एवं 2 लाख हृदय रोगियों में से किसी एक को होता है
रायपुर। डा. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में एब्सटिन एनामली की लगातार चौथी सफल सर्जरी कर 30 वर्षीय महिला मरीज की जान बचाई। इस बीमारी को चिकित्सीय भाषा में कॉम्प्लेक्स कंजेनाइटल हार्ट डिजीज कहा जाता है। ऑपरेशन के दौरान मरीज के हृदय में डैफोडिल नियो नामक उच्च कोटि का बोवाइन टिश्यू वाल्व लगाया गया। ऑपरेशन के बाद मरीज पूर्णत: स्वस्थ है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार, ऐसे मरीज लगभग 28 से 30 साल तक ही जिंदा रह पाते हैं। लगभग 13 प्रतिशत मरीज जन्म लेते ही मर जाते हैं। 10 साल की उम्र तक 18 प्रतिशत बच्चे मर जाते हैं एवं लगभग 25 से 30 साल तक लगभग सारे मरीज मर जाते हैं। इस बीमारी का ऑपरेशन बहुत ही जटिल होता है एवं बहुत ही कम संस्थानों में होता है। मरीज के शरीर का ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल (स्श्चह्र2) 70 से 75 प्रतिशत ही रहता था। मरीज को बार-बार चक्कर आता था । इस बीमारी को कॉम्पलेक्स कंजनाइटल हार्ट डिजीज कहा जाता है जिसमें बचपन में या पैदा होते ही मरीज का शरीर नीला पडऩा प्रारंभ हो जाता है।