Sunday, July 13, 2025
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छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला सुरसा के मुँह जैसा फैलता चला जा रहा है…सस्पेंड,.22 अधिकारियो के बाद अब किसकी बारी ?

छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला सुरसा के मुँह जैसा फैलता चला जा रहा है और भ्रष्टाचार करने वाले उसमें समाते चले जा रहे हैं।

कांग्रेस सरकार के समय में हुए शराब घोटले में भष्ट्राचारी हनुमान जैसे शाक्तिमान बने रहे जो बार-बार सुरसा के मुँह में जाकर भी बाहर आते रहे। उनका बाल भी बांका कोई नहीं कर सका था उनके पीछे सरकार का वरदहस्त था। घोटाला करने सिंडिकेट बना था सिंडीकेट सरकारी छत्रछाया में चल रहा था और कहें तो दौड़ रहा था सिंडीकेट। सब कुछ खुलेआम होते रहा सरकार की नाक के नीचे। सरकार की सरकारी शराब और सिंडीकेट की नकली होलोग्राम वाली शराब दोनों सरकारी शराब दुकानों में धड़ल्ले से बिकती रही।चोली दामन साथ रहा आबकारी महकमा और घोटालेबाज सिंडीकेट के साथ.. सरकारी शराब दुकाने सिंडीकेट की शराब को खपाती रहीं। अब भला शराबियों को क्या पता और उन्हें क्या लेना देना कि शराब की बोतल में नकली होलोग्राम लगा है उन्हें तो शराब से मतलब है.. ढक्कन से क्या वास्ता…?
नक‌ली होलोग्राम लगे शराब की बोतल को बेचने का मामला भाजपा के एक नेता ने उठाया था. लेकिन तब सरकार के नक्कारखाने में नेता के शिकायत की तूती सुनी ही नहीं गई। और सिंडीकेट की शराब सरकारी शराब दुकानों में बदस्तूर बिकती रही ।

शराब छत्तीसगढ़ सरकार के भष्ट्राचार की रक्त वाहनियों में निरंकुश दौड़ने लगा।
बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि इसके बावजूद पूरे देश में शराब खपत के मामले में छत्तीसगढ़ नम्बर बन गया। छत्तीसगढ़ में पियक्कड़ों का आंकड़ा केवल सरकारी शराब बिक्री को लेकर बनाया गया था। सिंडीकेट की शराब बिक्री को शामिल कर लिया जाए तो छत्तीसगढ़ में पियक्कड़ों का आंकड़ा आसमान छूता नज़र आएगा..!
आबकारी घोटाले नेता से लेकर मंत्री तक, छोटे कर्मचारी से बड़े आला अधिकारी सभी इस लूट खसोट में लगे रहे। कहे तो दोनों हाथ में लड्डू और सिर कढ़ाई में डूबा था। मामला ढक्कन ने बिगाड़ दिया। ढ़क्कन ने सारे गहरे राज खोल दिये। जिस कंपनी में सरकारी होलोग्राम वाले ढ़क्कन बनते थे उसी कंपनी से सिंडीकेट अपना नकली ढ़क्कन वाला होलोग्राम बनवाने लगा।
शराब घोटाला पहले 22 सौ करोड़ रुपया का था जांच होते होते बत्तीस सौ करोड़़ रुपये का हो गया। जिसमें अब 22 आबकारी अधिकारी निलंबित हो गये। इस घोटाले में 13 आरोपित जेल में बंद हैं और जांच के चलते और भी जेल में पहुंचने वाले हैं।
कांग्रेस सरकार के आबकारी मंत्री कवासी लखमा घोटाले को जॉच में पहले ही सपड़ा गये। जिन पर आरोप लगा कि उन्हें दो करोड़ रुपया हर महीना दिया जाता था । शराब घोटाला को अंजाम देने के लिए बनाए गये सिंडीकेट के कुछ कर्णधार कानून की गिरफ्त में आये हैं और कुछ बाहर हैं जिनके लिए कानून का फंदा कसा जा रहा है ताकि कोई कसर बाकी नहीं हो और कहीं उनको पकड़ने में सरकार की किरकिरी नहीं हो। यह चुनौती भरा काम है और यह भी हो सकता है कि सरकार इतने से ही अपनी जांच पूरी कर लें।
शराब घोटाले के कमीशन से नेता और अधिकारी मालामाल बने और सब ने अनाप शनाप ज़मीन जायदाद खरीदी। यह तो नजर आया मगर कितना शेयर बाजार में लगाया कितना सोना खरीदी में खपाया यह जांच में आंना बाकी है।
सबसे अहम प्रश्न यह है कि नकली होलोग्राम लगी शराब की बोतलें सरकारी शराब दुकानों में बेचो जाती रही। असली और नकली का फर्क शराब बेचने वाला अदना सा कर्मचारी भी जानता था। नकली होलोग्राम लगी शराब की खेप अलग से दुकानों में पहुंचाई जाती रही इस गोरखधंधे में हजारों लोग कमीशन पाते थे। ऐसे में हर कस्बे में पदस्थ आबकारी अधिकारी अपनी आंखें मूंदे तो नहीं बैठे थे। तो क्या सिंडीकेट के भष्ट्राचार को अनदेखा करने वाले अधिकारियों को कमीशन का लालीपाप नहीं मिला होगा…? फिर केवल 22 आबकारी अधिकारियों पर ही गाज क्यों गिराई गई… यह भी हुई जाँच पर जाँच का बड़ा मुद्दा है।
बहरहाल काँग्रेस राज के आबकारी घोटाले के भष्ट्राचार के बदबूदार नाले में जिन जिन ने भी डुबकी लगाई है उसके शरीर से उठती बदबू अब भी उनके भष्ट्राचारी होने का सबूत दे रही है। लोग जानते हैं. .. सरकारी जाँच में उन पर नकेल कसी जाए तो और बेहतर होगा।

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