Wednesday, December 3, 2025
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छत्तीसगढ़ के डण्डे में किसका झण्डा फहराएगा ,कांटे की टक्कर में अवाम किसको सत्ता पर बिठाएगा

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी़़़…

75 पार के दावे में दम नही

अपना और अपनों का मनोबल बढ़ाने के लिये और जनता के बीच माहौल बनाने के लिये सियासी बयान दिये जाते हैं जो हकीकत से मेल खाते हों ये आवश्यक नहीं। ऐसा ही कुछ एक वरिष्ठतम् कांग्रेसी नेता ने कहा कि इस बार हम पचहत्तर पार जाएंगे यानि 75 से भी ज्यादा सीटें पाएंगे। इस पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दिलचस्प टिप्पणी की कि यदि इस वक्त हम इतने मजबूत हैं तो इसका अर्थ ये हुआ कि हमारे सारे विधायक, मंत्री अच्छा काम कर रहे हैं तो ऐसे में बदलाव क्यों किया जाना चाहिये। ऐसे में कई विधायकों की टिकट कटने के संकेत क्यों दिये जा रहे हैं। यदि 75 से अधिक सीटें जीतने का दावा है तो टिकट कटने की स्थिति क्यों आ रही हैं। सिंहदेव साफ-साफ संकेत दिया कि ये दावा खोखला है।
जनता को चबाते हैं पान की तरह
कांग्रेस हो या भाजपा
बेईमान सिस्टम डटा है चट्टान की तरह

दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा देश में हर जगह लगातार अपना परचम लहराती रही है। लेकिन 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस बड़ी और गौरवशाली पार्टी को किनारे कर दिया अवाम ने। जब भाजपा को किनारे कर दिया तो लगा कि जैसे कुछ राहत मिलेगी। लेकिन भ्रष्टाचार, सत्ताई दादागिरी, पैसेवालों की मनमानी, आम आदमी के साथ अन्याय, कमजोर का शोषण सब कुछ वैसे का वैसा बदस्तूर जारी रहा। प्रशासनिक व्यवस्था अपनी जगह चट्टान की तरह कायम रही।
भारी भरकम बहुमत से इतिहास रचने वाली कांग्रेस यदि समझदारी और संयम से काम लेती तो ऐसे काम कर सकती थी कि उसे उखाड़ना मुश्किल हो जाता। जैसे केन्द्र में  मोदीजी ने ऐसा काम किया है कि अब उन्हें इस बार यानि 2024 में उखाड़ना तो लगभग असंभव लग रहा है। लेकिन अफसोस राज्य सरकार ने उस दिशा में सोचा ही नहीं, सोचा भी होगा तो काम कर नहीं पाए।
बहरहाल… छत्तीसगढ़ की सत्ता पर आंधी की तरह छा जाने वालीे कांग्रेस हो या सारे विश्व में अपना परचम फहराने वाली भाजपा, इस बार दोनों की जीत पर संशय के बादल छाए दिख रहे हैं। दोनों ही आश्वस्त नहीं हैं। दोनांे की सांसें उपर की उपर और नीचे की नीचे हो रही हैं।
पेशी से परेशान पुराने दिग्गज

पिछले छह माह में थोड़ी स्थिति सुधरी है ऐसा कहा जा सकता है। एन्टी इंकमबैंसी के चलते 2018 में भाजपा बुरी हार हारी थी। बाद के चार उपचुनाव में हर बार भाजपा हारी। कांग्रेस में बड़े बिखराव के बाद भी मुकाबले में भाजपा सुदृढ़ नहीं दिख रही। शर्मनाक हार, हर बार यही संकेत दे रहे हंै। ऐसी स्थिति क्योें है और आगे क्या प्लानिंग है इसके लिये  हाईकमान ने बुलाया बड़े नेताओं को और पूछा कि सारे देश में ‘ऐसा’ है तो छत्तीसगढ़ मंे ‘वैसा’ क्यों। ‘चुक गये’ बड़े चेहरों ने अपनी तरफ से क्या दलील दी होगी ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन हां भाजपा हाईकमान के तेवर देखकर पुराने दिग्गजों को ये जरूर समझ में आ गया होगा कि अब सूबे में सियासत के दिन लद गये। अब यहां पर मार्गदर्शक बनकर ही रहना होगा अथवा केन्द्र में संभावनाएं तलाशनी होंगी।
गुजरात की तर्ज पर यहां नये चेहरों की तलाश होती रही है लेकिन ऐसा कोई दमदार परिदृष्य नहीं बन पा रहा कि भाजपा की बल्ले-बल्ले होती दिखे।

प्रदेश में प्रभाव खोते पुराने चेहरे

एक दौर था जब छत्तीसगढ़ बृजमोहन अग्रवाल की मुट्ठी मे था यानि जहां वो जाते थे वहां पर प्रदेश उनके लिये पलक-पांवड़े बिछाए दिखता था। जनता चाहती थी। हाथों हाथ लेती थी। निस्संदेह उन्हें जीत मिलती थी। हर जगह मोहन भैया के नाम से प्रसिद्ध इस भाजपा नेता का सक्रिय होना जीत की गैरंेटी माना जाने लगा था। लेकिन फिलवक्त काफी सुस्त सी दिख रही भाजपा को अपने कंधे पर लादकर अकेले कैसे विजय दिला पाएंगेे ?
यहां तक कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 2018 में चंद विजित भाजपा विधायकांे में उनकी जीत शानदार कही जा सकती है तथापि वो उनकी व्यक्तिगत कामयाबी कही जा सकती है। लेकिन बार-बार बाकी के उन्हीें पुराने चेहरों से जनता पर कोई असर होते नहीं दिख रहा था। अब चुनाव सर पर देखकर राजधानी के लोकल नेता एकाएक एक्टिव हो रहे हैं। क्या ये ‘एकाएक’ वाली स्थिति जनता को भा जाएगी। जबकि भूपेश बघेल लगातार काम करते दिखते रहे हैं। अपने मुद्दों पर तो काम किया ही, जनता को पसंद आने वाले भाजपा के मुद्दे भी हथिया लिये।

भाजपा का मूल मुद्दा-कांग्रेस ने लपक लिया
इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा के हिंदुत्व का मुद्दा काफी हद तक प्रभावी साबित हो़ता रहा है। क्या धर्मांतरण के मुद्दे से वोटर अपनी आस्था पार्टियों के प्रति बदल देगा ? या फिर पंद्रह सालों में भाजपा के प्रति उत्पन्न नाराजगी अब धुल गयी होगी और हिंदु वाले मामले से वोटर प्रभावित हो जाएगा ?
इसके लिये भाजपा के लिये एक नुकसान दायक बात ये भी है कि भाजपा की ही तर्ज पर कांग्रेस ने भी हिंदुत्व की राह पर चलना प्रारंभ कर दिया है। भगवान राम का नाम धारण कर लिया है। आम बोलचाल में इसे कहते हैं कि भाजपा की तैयार पिच पर कांग्रेस की बैटिंग… । समय कम है जल्दी ही भाजपा को कुछ नये प्रभावी मुद्दे तलाशने होंगे। ऐसे मुद्दे जो जनता के दिल को छू सकें।

जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा 9522170700

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