छत्तीसगढ़ में आज सोमवार को पोला का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। भादो महीने की अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार के दिन किसान खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। साथ ही किसान परिवार मिट्टी के बने बेल चक्की और दूसरे खिलौने की पूजा करते हैं। पूजा के खिलौने को बच्चों को खेलने के लिए देते हैं। घरों में ठेठरी खुर्मी चीला और अरसा जैसे पकवान बनाए जाते हैं। मान्यता है कि आज के दिन से ही किसानों के बोए धान फसल गर्भधारण करते हैं. यानी कि धान की फसल में बीज के अंकुरण की शुरुआत होती है। यही वजह है की पोला के दिन किसांन पूजा तो घर में करते हैं लेकिन खेत नहीं जाते। और ग्रामीण इलाकों में आज के दिन गांव-गांव में बैल दौड़ की प्रतियोगिता भी होती है रायपुर से लगे गांव में पोला की धूम सुबह से ही नजर आ रही है।

तिल्दा नेवरा में पोला का त्योहार धूमधाम से बनाया गया। त्योहार की तैयारी को लेकर हफ्ते भर पहले से ही बाजार सज चुके थे। बैल की कमी होने के चलते मिट्टी के बैल खरीदने कुम्हार द्वारा मिट्टी के बर्तन पोरा,नंदी बैल खरीदने पहुंचने लगे थे। अंचल के किसान अपने घरों में रहकर बैलों को सजाकर, नहलाकर पूजा-अर्चना किया। बच्चों द्वारा पूजा अर्चना के बाद मिट्टी के बने बैल व बालिका द्वारा पोरा-जाता को लेकर समूह में खेलते नजर आए।
तुलसी नेवरा में पॉल के अवसर पर ठाकुर देव की विधि विधान के साथ पूजा की गई। पुजारी नत्थूलाल वर्मा ने बताया कि ठाकुर देव नीम चौरे के नीचे 4 फीट गड्ढे में रखे जाते हैं। फिर 3 साल एक बार पोला के दिन ठाकुर देव जी बाहर निकाल कर पूजा करते हैं। उन्होंने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

पोला का पर्व किसानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. पोला पर्व किसानों और खेतीहर मजदूर के लिए विशेष महत्व रखता है.बैलों को लेकर कहा जाता है कि बैल किसान के बेटे की तरह होते हैं. और गाय और बैलों को लक्ष्मी जी के रूप में देखा जाता है और इसे पूजनीय माना गया है.इसलिए आज के दिन बैलों की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है, जिनके पास बैल नहीं होते हैं ववे मिट्टी के बैलों की पूजा आराधना करके चंदन टीका लगाकर उन्हें माला पहनाते हैं.उनके प्रति सम्मान जताते हैं.
छत्तीसगढ़ में पोला और तीजा खास महत्व रखता है. तीजा और पोला पर्व में महिलाएं अपने मायके में इस पर्व को मनाने के लिए आती हैं. मायके से मिला हुआ साड़ी पहनकर महिलाए तीजा का पर्व मनाती हैं. कुल मिलाकर यह पर्व किसानों के बैलों के उत्सव का पर्व है.”मिट्टी के बने खिलौने बच्चों को खूब भाते हैं.ऐसे तो ज्यादातर लोगों ने मिट्टी के खिलौने बेल जाता पोरा पहले से ही लेकर रख लिया था लेकिन आज भी मिटटी के बैल, जाता, व अन्य खिलौने लेने दुकानों पर भीड़ लगी रही।तीजा पोला का त्योहार मनाने ज्यादातर बहन-बेटियां मायके पहुंच चुकी है. वे तीजा पर्व को लेकर उतसाहित दिखी 25 अगस्त की रात को करू भात खाकर पति कीदीर्घायु की कामना को लेकर महिलाएं निर्जला व्रत शुरू करेगी।
तीजा पर्व को लेकर जहां ट्रेनों में पेर रखने की जगह नही है ।वहीं कपड़ा और जनरल स्टोर चूड़ी की दुकानों में भी खासकर महिलाएओ और युवतियो काफी भीड़ लगी हुई है । ब्यूरो रिपोर्ट वीसीएन टाइम्स।

