Monday, July 7, 2025
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छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों को फिर मिलेगी सम्मान निधि:सरकार ने बजट आबंटन आदेश जारी किया,

 

छत्तीसगढ़ के मीसाबंदियों को अब सम्मान निधि फिर से मिलेगी। इसे लेकर वित्त विभाग ने आदेश जारी किया है। इन्हें लोकतंत्र सेनानी कहा जाता है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर इन्हें सम्मान निधि जारी करने बजट आबंटन का आदेश जारी कर दिया गया है।

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि 28 जनवरी 2019 को लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान निधि में रोक लगा दी गई थी। हमारी सरकार ने रोक हटाते हुए पेंशन बहाल करने 7 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी की थी।

अधिसूचना दिनांक से लंबित भुगतान के लिए सरकार ने बजट आबंटन का आदेश भी जारी कर दिया है। आपातकाल में जनतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए महान विभूतियों का संघर्ष हम सभी के लिए प्रेरणा है।

 

  CM का सम्मान करेंगे मीसाबंदी

लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने इस पर कहा कि भूपेश बघेल की सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की वर्ष 2008 से दी जा रही सम्मान निधि बन्द कर लोकतंत्र की हत्या कर अपनी तानाशाही का प्रदर्शन कर उच्च न्यायालय के आदेशों को भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया।

विष्णु देव साय की सरकार ने सत्ता में आते ही लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान लौटा कर लोकतंत्र बहाल किया। भूपेश सरकार द्वारा विगत पांच वर्षों से रोकी गई सम्मान निधि भीप्रतिमाह देना प्रारंभ किया। अब सेनानी संघ 26 जून को मुख्यमंत्री को सम्मानित करेगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के मीसाबंदियों को फिर से सम्मान निधि राशि देने की घोषणा की थी। विधानसभा में उन्होंने यह घोषणा की। 2018 में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन पर रोक लगा दी गई थी।

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद आपातकाल में जेल गए मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए उन्हें सम्मान निधि देना शुरू किया गया था। रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल में ये राशि बढ़ाकर 15 हजार रुपए कर दी गई थी। अब दोबारा पेंशन शुरू करने की सरकार की घोषणा के बाद मीसाबंदियों में खुशी की लहर है।

25 जून 1975 की आधी रात को एक अध्यादेश के जरिए देशभर में आपातकाल लागू कर दिया गया था। इस दौरान संविधान में दिए गए नागरिक अधिकारों को भी निलंबित कर दिया गया था। बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून समाप्त कर दिया गया। जिसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने का नियम भी शिथिल हो गया।

मीसा कानून के तहत कांग्रेस शासित राज्यों के एक लाख सत्ता विरोधी जेल में डाल दिए गए। अविभाजित मध्यप्रदेश में भी उन दिनों कांग्रेस सरकार थी। मीसा का पूरा नाम बताया गया- मेंटनेन्स ऑफ इन्टरनल सिक्योरिटी एक्ट। मजेदार तो ये था कि इस गिरफ्तारी को अदालत में चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था। इस दौरान मीसा कानून के तहत बंदी बनाए गए लोगों को मीसाबंदी कहा जाता है।

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