भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सा सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की. राष्ट्रपति मुर्मू को संबोधित अपने पत्र में जगदीप धनखड़ ने लिखा, ‘स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं.’ उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया. साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को भी उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया. उनका इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत तत्कालप्रभाव से लागू हो गया है.
जगदीप धनखड़ से पहले दो और उपराष्ट्रपति हुए जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. कृष्ण कांत ने 21 अगस्त, 1997 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. लेकिन 27 जुलाई, 2002 को कार्यकाल के दौरान ही उनका निधन हो गया. इस कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इसके अलावा, वराहगिरि वेंकट गिरि (V.V. Giri) ने भी 1969 में उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दे दिया था, ताकि राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें.
जगदीप धनखड़ ने 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. 6 अगस्त, 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार र मार्गरेट अल्वा को हराया था. जगदीप धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे. उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे. जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ.
उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से ही पूरी की. इसके बाद स्कॉलरशिप हासिल करके चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ने चले गए. धनखड़ का नेशनलडिफेंस एकेडमी में चयन हो गया था, लेकिन वह नहीं गए.
जगदीप धनखड़ की राजनीति में चौ. देवीलाल ने कराई एंट्री
उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की. राजस्थान यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई पूरी की. फिर जयुपर में ही रहकर वकालत शुरू की और राजस्थान हाई कोर्ट के एक जाने-माने वकील रहे. धनखड़ ने वर्ष 1979 में राजस्थान बार काउंसिल की सदस्यता ली. 27 मार्च, 1990 को वह राजस्थान उच्च यालय में वरिष्ठ अधिवक्ता बने. उसी समय वह सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस करते रहे. वह 1987 में राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी चुने गए.
जगदीप धनखड़ चौधरी देवीलाल की राजनीति से प्रभावित थे. देवीलाल ही उन्हें राजनीति में लेकर आए. साल 1989 में देवीलाल का 75वां जन्मदिन था. जगदीप धनखड़ राजस्थान से 75 गाड़ियों का काफिला लेकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने दिल्ली पहुंचे थे. इसी साल के अंत में लोकसभा चुनाव हुए.राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले वीपी सिंह ने उनके खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया था. वीपी सिंह के जनता दल ने जगदीप धनखड़को उनके गृहनगर झुंझुनू से टिकट दे दिया. वीपी सिंह की सरकार बनी. देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने और जगदीप धनखड़ को केंद्र में मंत्री पद मिला