तिल्दा नेवरा
तिल्दा नेवरा में सिंधी पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हो गया। सिंधी समाज ने समाज के पूर्व अध्यक्ष रहे शमनलाल ने अपने प्रतिद्वंदी को 79 वोटो से हराकर लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर फिर से 3 साल के लिए अध्यक्ष पद की कुएसी हासिल की है । चुनाव जीतने के बाद उन्होंने मतदाताओं से मुलाकात कर आभार व्यक्त भी किया। अब बरी कार्यकारी गठन की है ..शहर वासियों की निगाहें भी नै कार्यकारिणी के गठन पर टिकी हुई है।
दरअसल पिछले कार्यकारिणी में शमनलाल खूबचंदनी की टीम में एक ऐसा पदाधिकारी शामिल था । जिसके कारण अध्यक्ष महोदय पर खूब उंगलियां उठाई गई। चुनाव के पहले जब पंचायत भवन में समाज की आम बैठक हुई तो उसे बैठक में भी समाज के लोगो ने उस पदाधिकारी का बिना नाम लिए खुलकर विरोध किया था । समाज को दो गुट के बांटने वाला यह पदाधिकारी इतना चालाक है कि जब भी कोई आम बैठक होती है तो उसे बैठक से गायब रहता है।इस बार भी वह बैठक में शामिल नही हुआ .. इस पदाधिकारी ने घोषणा की थी कि यदि शमनलाल 100 से कम वोटो से जीत दर्ज करेहे तो वे पंचायत भवन में कभी पर नहीं रखेंगे। उसके द्वारा खी गई बातो पर सबकी नजर लगी हुई है ..
देखना यह भी है कि दोबारा बने समाज के मुखिया शमनलाल जी क्या ऐसे व्यक्ति को अपने कार्यकारिणी में शामिल करेंगे। हालांकि इस तरह की ऊलजुलल बातें इसके पहले भी वह कई बार बहुत कुछ कह चुके हैं।हलाकि इस व्यक्ति के लिए बच्चों की कसमें खाना,और भी गन्दी बाते करना कोई नई बात नही है .. कुछ दिन पहले हुए एक बात को लेकर उन्होंने इस्तीफा लिखित में अध्यक्ष को देते हाए मौखिक रूप से कहा था की मै कभी भी पंचायत भवन में अपना पैर नही रखूंगा . इतना ही नही उन्होंने यह भी कहा था कि .यदि मै पंचायत भवन में दिखा तो कुत्ते का औलाद कहलाऊगा..
जबकि शमनलाल जी के चुनाव जीतने के बाद सबसे अधिक उत्साहित वही व्यक्ति दिखा.और उनके वो साथी दिखे जो समाज जोड़ने की वजह तोड़ने में लगे रहते हैं। लोगों का कहना है कि इस व्यक्ति को बिलासपुर के व्यापारियों द्वारा बेइज्जत कर व्यापारी संघ से बाहर कर बिलासपुर से ही भगा दिया था। कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाला यह चुटकी बज व्यक्ति गिरगिट की तरह पाला बदलने में माहिर है। समय आने पर वो अपने आप को भाजपा का बताकर,उन्ही के साथ हो जाता है .. लोगों का यह भी कहना है कि इस व्यक्ति ने मुखिया की कोई कमजोर नस को पकड़ रखा है जिसके कारण हमेशा पंचायत की कार्यकारणी में शामिल हो जाता है।जबकि उसकी औकात 50 वोट पाने की नहीं है।
इसके पहले हुए पार्षद चुनाव में भी बंदर की तरह गुलाटी मारता अलग-अलग वार्डों में प्रत्याशियों को जिताने की बात कहता फिर रहा था। और अपने हि पार्टी के प्रत्याशी को हराने एडी चोटी लगता रहा…इस एवज में उन्होंने दुसरे प्रत्याशी से लाखो लेकर अपनी जेब गर्म करता रहा ..लेकिन पर्रिणाम आया तो वह से भाग खड़ा हुआ ,और भाजपा जहा से जिस वार्ड से कभी नही हारी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा…इसके साथ एक समय का कुख्यात जुआरी शहर का एक तथा कथित एक और व्यक्ति भी शामिल है। जो शहर में होने वाले अवैध कार्यों से जुड़ा हुआ है।लोगों को डरा धमका कर पुलिस की दलाली करने वाला यह व्यक्ति अपनी लाज में न केवल वेश्यावृत्ति करता है। बल्कि शराब का अवैध व्यापार भी करता है। इनके द्वारा भोले-भाले युवकों को जाल में फंसा कर ब्लैक मेलिंग भी की जाती है। अपनी होटल में जुआ खिलाने वाले इस व्यक्ति को शहर में गेडा उर्फ भालू के नाम से भी जाना जाता है। यह व्यक्ति भी अध्यक्ष का खास माना जाता है। ऐसे लोगों को साथ लेकर चलने के कारण ही अध्यक्ष के छवि पर असर पड़ा है।
बता दे कि पिछला चुनाव शमनलाल खुब्च्न्दानी ने 500 वोटो से जीता था। और इस बार की जीत मात्र 79 वोटो से हुई है। यदि दो हारे प्रत्याशियों के होठों को जोड़ा जाए तो शमनलाल को हरने वाले प्रत्याशियों से कम वोट मिले हैं। लेकिन जीत चाहे एक वोट से हो या 500 वोटो से जीत जीत होती है। मुखिया ने यदि गलत लोगों से किनारा नहीं किया तो इस बार उन्हें समाज का विरोध भी झेलना पड़ सकता है।चमनलाल जी को जीत के मध्य में आकर अपने कद को नहीं बोलना चाहिए।
जय सिंधी समाज, समाज की जय हो।

