एक ऐसा फैसला सुनाया गया है, जिसे सुनकर कोई भी चकित रह जाएगा. दो पत्नियों के बीच पति का बंटवारा हुआ. जानें मामला.
पूर्णिया: बिहार से कई ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जो अपने आप में अनोखे होते हैं और जिसे सुनकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं. जिले के पुलिस परिवार परामर्श केंद्र का एक ऐसा ही फैसला लोगों के बीच चर्चा में बना हुआ है. यहां पति को दो पत्नियों के बीच बांट दिया गया है. पति का प्यार रोटेशन पर होगा.
दरअसल मामला तब सामने आया जब पहली पत्नी की फरियाद एसपी कार्तिकेय शर्मा के पास पहुंची. शंकर साह नामक व्यक्ति जो पूर्णिया के रुपौली थाना क्षेत्र का रहने वाला है, उसने पूर्णिया के मीरगंज थाना क्षेत्र की रहने वाली पूनम से साल 2000 में शादी की थी. पहली पत्नी ने बताया कि बिना उसकी जानकारी के पति ने उषा देवी के साथ दूसरी शादी कर ली.
पहली पत्नी ने अपने आवेदन में कहा कि मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली है और मुझे यानी कि अपनी पहली पत्नी के परिवार को खर्चा देना बंद कर दिया है. सबसे पहले पूनम ने पूर्णिया के आरक्षी अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा से मुलाकात की. उन्होंने इस मामले को पूर्णिया के पुलिस परिवार परामर्श केंद्र भेज दिया.
मेरे पास पहली पत्नी पूनम शिकायत लेकर आई थी. मैंने मामले को पुलिस परिवार परामर्श केंद्र भेज दिया है.“-कार्तिकेय शर्मा, एसपी, पूर्णिया
: मामला पुलिस परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा तो पहली पत्नी पूनम की बात को सदस्यों ने सुना और फिर शंकर को केंद्र पर बुलाया गया. पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य दिलीप कुमार दीपक ने बताया कि लड़की मीरगंज और लड़का रुपौली का था. दोनों की लंबे समय पहले शादी हुई थी और 22 साल का दोनों को बेटा भी है. दूसरे बेटे की उम्र 18 साल है.
दोनों बेटे कॉलेज में पढ़ रहे हैं. प्रताड़ना और झगड़े के बाद पति ने दूसरी शादी कर ली. सात साल पहले उसने दूसरी शादी कर ली थी. मामला इतना बढ़ा गया कि पूर्णिया एसपी के पास पहुंचा. उन्होंने इस मामले को सुलझाने के लिए हमारे केंद्र के पास भेज दिया. केंद्र के सदस्यों ने दोनों को समझा बुझाकर मिला दिया.”- दिलीप कुमार दीपक, पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य

पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य
‘चार दिन पहली पत्नी..तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ. दिलीप कुमार दीपक ने बताया कि शंकर से कहा गया कि तुम अपने लड़कों की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा नहीं दे रहे हो तो वह तैयार हो गया. शंकर ने कहा कि मैं प्रति माह 4000 रुपये बच्चों की पढ़ाई के लिए दूंगा. इस कठिन मसले को परिवार परामर्श केंद्र ने आसानी से सुलझा दिया है. पति ने खुद कहा कि आगे विवाद ना हो इसलिए सप्ताह में चार दिन मैं पहली वाली पत्नी को और तीन दिन छोटी वाली पत्नी को दूंगा. शंकर की बात पर परामर्श केंद्र ने मोहर लगा दी और बांड बना दिया गया.
“हमने कहा कि इससे बढ़िया और क्या हो सकता है. तुम्हारा फैसला तुम्हारे ही सर पर हम थोप देते हैं. बांड में लिखा गया है कि चार दिन बड़ी वाली पत्नी के साथ और तीन दिन छोटी वाली के साथ रहना है. साथ ही बच्चों को 4000 रुपये महीना देना है. मामला सुलझ गया है.”- दिलीप कुमार दीपक, पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य
इस फैसले पर दोनों पत्नियां सहमत हो गई हैं और बॉन्ड पर साइन कर खुशी-खुशी परामर्श केंद्र से अपने-अपने घर चली गई हैं. पुलिस परिवार परामर्श केंद्र ने इस मामले को शांति से सुलझाने में खास भूमिका निभाई.