Monday, July 14, 2025
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पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में याद किया इमरजेंसी का दौर, बताया भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय

पीएम मोदी ने कहा- भारत की आपदा प्रबंधन की ताकत एक मिसाल है.
पीएम मोदी ने कहा- कच्छ के लोग बिपरजॉय चक्रवात से हुई तबाही से तेजी से उभरेंगे.
पीएम मोदी ने कहा- जब नीयत साफ हो तो फिर कोई लक्ष्य कठिन नहीं रहता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने मासिक रेडियो शो ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के 102वें संस्करण को संबोधित किया. मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आमतौर पर ‘मन की बात’ हर महीने के आखिरी रविवार को आपके पास आती है, लेकिन इस बार यह एक हफ्ते पहले हो रही है. आप सभी जानते हैं, मैं अगले हफ्ते अमेरिका में रहूंगा और वहां कार्यक्रम काफी व्यस्त होने वाला है, और इसलिए मैंने सोचा कि मैं जाने से पहले आपसे बात कर लूं, इससे बेहतर क्या हो सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बहुत से लोग कहते हैं कि प्रधान मंत्री के रूप में मैंने कुछ अच्छा काम किया है, या कोई और महान काम किया है. मन की बात के अनेक श्रोता उनके पत्रों में प्रशंसा की बौछार करते हैं. कुछ कहते हैं कि एक विशेष कार्य किया गया था. अन्य अच्छी तरह से किए गए कार्य का उल्लेख करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि अभी दो-तीन दिन पहले हमने देखा कि देश के पश्चिमी हिस्से में कितना बड़ा चक्रवात आया… तेज हवाएं, भारी बारिश. कच्छ में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय ने भारी तबाही मचाई है. लेकिन कच्छ के लोगों ने जिस साहस और तैयारी के साथ इतने खतरनाक चक्रवात का मुकाबला किया, वह भी उतना ही अभूतपूर्व है.

पीएम मोदी ने याद दिलाया इमरजेंसी का दौर
पीएम मोदी ने कहा कि ‘साथियों, भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है. हम, अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं, इसलिए, हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते. यह वही दिन है जब हमारे देश पर इमरजेंसी थोपी गई थी. यह भारत के इतिहास का काला दौर था. लाखों लोगों ने इमरजेंसी का पूरी ताकत से विरोध किया था. लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी, मन, सिहर उठता है. इमरजेंसी के दौरान छपी इस पुस्तक में वर्णन किया गया है, कि कैसे, उस समय की सरकार, लोकतंत्र के रखवालों से क्रूरतम व्यवहार कर रही थी. कुछ दिनों पहले ही इमरजेंसी पर लिखी एक और किताब मेरे सामने आई जिसका शीर्षक है- Torture of Political Prisoners in India. मैं चाहूंगा कि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो, देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें. इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी.’

साइक्लोन बिपरजॉय से जल्द उबरेगा कच्छ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कभी दो दशक पहले आए विनाशकारी भूकंप के बाद कच्छ को कभी न उबर पाने वाला कहा जाता था… आज वही जिला देश के सबसे तेजी से विकास करने वाले जिलों में से एक है. मुझे विश्वास है कि कच्छ के लोग बिपरजॉय चक्रवात से हुई तबाही से तेजी से उभरेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि ‘साथियो, प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का ज़ोर नहीं होता, लेकिन, बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वो आज एक उदाहरण बन रही है.’

भारत की आपदा प्रबंधन की ताकत एक मिसाल
पीएम मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वो आज एक उदाहरण बन रही है. प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है – प्रकृति का संरक्षण. आजकल, मानसून के समय में तो, इस दिशा में, हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.| इसलिए ही आज देश, ‘Catch the Rain’ जैसे अभियानों के जरिए सामूहिक प्रयास कर रहा है.

पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए जी-जान से लगे लोग
पीएम मोदी ने कहा कि यू.पी. के हापुड़ जिले में लोगों ने मिलकर के एक विलुप्त नदी को पुनर्जीवित किया है. यहां काफी समय पहले नीम नाम की एक नदी हुआ करती थी. समय के साथ वो लुप्त हो गई, लेकिन, स्थानीय स्मृतियां और जन- कथाओं में उसे हमेशा याद किया जाता रहा. आखिरकार, लोगों ने अपनी इस प्राकृतिक धरोहर को फिर से सजीव करने की ठानी. लोगों के सामूहिक प्रयास से अब ‘नीम नदी ‘ फिर से जीवंत होने लगी है. नदी के उद्गम स्थल को अमृत सरोवर के तौर भी विकसित किया जा रहा है. मुझे चिट्ठी लिखकर कई ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है जो पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए जी-जान से लगे हैं. ऐसे ही एक साथी हैं – यूपी के बांदा जिले के तुलसीराम यादव जी. तुलसीराम यादव जी लुकतरा ग्राम पंचायत के प्रधान हैं. आप भी जानते हैं कि बांदा और बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी को लेकर कितनी कठिनाइयां रही हैं. इस चुनौती से पार पाने के लिए तुलसीराम जी ने गांव के लोगों को साथ लेकर इलाके में 40 से ज्यादा तालाब बनवाए हैं.

नदी, नहर, सरोवर, ये केवल जल-स्रोत ही नहीं होते हैं, बल्कि इनसे, जीवन के रंग और भावनाएं भी जुड़ी होती हैं. ऐसा ही एक दृश्य अभी कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र में देखने को मिला. ये इलाका ज्यादातर सूखे की चपेट में रहता है. पांच दशक के इंतजार के बाद यहां Nilwande Dam की Canal का काम अब पूरा हो रहा है. कुछ दिन पहले Testing के दौरान Canal में पानी छोड़ा गया था. इस दौरान जो तस्वीरें आयी, वो वाकई भावुक करने वाली थी. गांव के लोग ऐसे झूम रहे थे, जैसे होली – दिवाली का त्योहार हो.

छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रबंधन अनुकरणीय
पीएम मोदी ने कहा कि ‘साथियो, जब प्रबंधन की बात हो रही है, तो मैं, आज, छत्रपति शिवाजी महाराज को भी याद करूंगा. छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता के साथ ही उनकी Governance और उनके प्रबंध कौशल से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है. इस महीने की शुरुआत में ही छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हुए हैं. इस अवसर को एक बड़े पर्व के रूप में मनाया जा रहा है. इस दौरान महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में इससे जुड़े भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. यह हम सबका कर्तव्य है कि इस अवसर पर हम छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रबंध कौशल को जानें, उनसे सीखें. इससे हमारे भीतर, हमारी विरासत पर गर्व का बोध भी जगेगा, और भविष्य के लिए कर्तव्यों की प्रेरणा भी मिलेगी’

कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं 
पीएम मोदी ने कहा कि ‘जब नीयत साफ हो, प्रयासों में ईमानदारी हो, तो फिर कोई भी लक्ष्य, कठिन नहीं रहता. भारत ने संकल्प किया है 2025 तक, टी.बी. मुक्त भारत, बनाने का… जन-भागीदारी ही टी.बी. मुक्त भारत अभियान की सबसे बड़ी ताकत है. हम भारतवासियों का स्वभाव होता है कि हम हमेशा नए विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं. हम अपनी चीज़ों से प्रेम करते हैं और नई चीज़ों को आत्मसात भी करते हैं.’ पीएम मोदी ने कहा कि ‘मियावाकी जंगलों को किसी भी जगह, यहां तक कि शहरों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. कुछ समय पहले ही मैंने गुजरात में केवड़िया, एकता नगर में, मियावाकी फॉरेस्ट का उद्घाटन किया था. कच्छ में भी 2001 के भूकंप में मारे गए लोगों की याद में मियावाकी पद्धति से स्मृति वन बनाया गया है.’

मियावाकी जंगल उगाने में लोग आगे बढ़ें
पीएम मोदी ने कहा कि ‘कच्छ जैसी जगह पर इसका सफल होना ये बताता है कि मुश्किल से मुश्किल प्राकृतिक परिवेश में भी ये तकनीक कितनी प्रभावी है. मुझे पता चला है कि लखनऊ के अलीगंज में भी एक मियावाकी उद्यान तैयार किया जा रहा है. पिछले चार साल में मुंबई और उसके आस-पास के इलाकों में ऐसे 60 से ज्यादा जंगलों पर काम किया गया है. अब तो ये technique पूरी दुनिया में पसंद की जा रही है. Singapore, Paris, Australia, Malaysia जैसे कितने ही देशों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है. मैं देशवासियों से, खासकर, शहरों में रहने वाले लोगों से, आग्रह करूंगा कि वे मियावाकी पद्धति के बारे में जरुर जानने का प्रयास करें. इसके जरिए आप अपनी धरती और प्रकृति को हरा-भरा और स्वच्छ बनाने में अमूल्य योगदान दे सकते हैं.’

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