इंदर कोटवानी
तिल्दा नेवरा ..तिल्दा पूज्य सिंधी पंचायत में भवन को किराए पर दिए जाने के नाम पर एक गोरख धंधा चलाया है जा रहा है.. इस गोरख धंधे का संचालन शहर के एक लॉज चलाने वाले संचालक के द्वारा पंचायत के सदस्यों के मिली भगत से किया जा रहा है। मामला उजागर होने के बाद समाज के लोगों में रोष व्याप्त है..।
हर समाज में पंचायत को विश्वास व न्याय का मंदिर माना जाता है,पंचायत रूपी मंदिर के मुखिया और पंचों को परमेश्वर माना जाता है । लेकिन तिल्दा पूज्य सिंधी पंचायत के स दस्यों ने पंचायत रूपी मंदिर को अलीबाबा चालीस चोरों की दरबार बना कर रख दिया है।इस पंचायत में जब फेसले होते हैंऔर जो निर्णय लिए जाते है उसे अलीबाबा के सभी दरबारी उनके इशारे पर तालियां बजाकर समर्थन में अपने हाथ उठा लेते हैं। ऐसे तो तिल्दा की सिन्धी पूज्य सिन्धी पंचायत के नाम जाना जाना जाता है.इस पंचायत पर पुरे समाज बराबर हक़ है..लेकिन यहाँ से न गरीबो को न्याय मिलता है न ही उनको हक़ मिलता है..
गरीब और मध्यम वर्ग के लोगो को भवन लने पर पुराणी चादर और बिना ऐसी वाले कमरे दिए जाते है लेकिन अमीर के द्वरा भवन लेने पर नइ AC भी लगा दी जाती है..जैसे भवन उनके बाप की जागीर है. कुछ ऐसे परिवार के लोग है जिन्होंने अघोषित रूप पंचायत पर कब्जा कर लिया है… जो दूसरों को लाडवाकर पंचायत के पदाधिकारी बनकर समाज सेवा करने की बात करते है .। पहले पंचायत में बाप अलीबाबा के दरबारी फिर खुद बाबा बन गए.फिर बेटा दरबार में शामिल हुआ उसके बाद एक सस्था से निकाले जाने के बाद पंचायत के दरबारी बन गए, एक ही पदाधिकारी 40 सालों से मुख्य पदों पर रहकर पंचायत मैं सेवा करने की आड़ में मलाई खा रहा है।
अब तो यह आलम है कि समाज के पैसों से चंदा लेकर बनाए गए भवन लगे ए.सी कमरों को किराए देने के नाम पर गोरख धंधा शुरू किया गया है.. इस गोरख धंधे में कुछ ऐसे पदाधिकारी है जो इस धंधे का संचालन एक लाज के माध्यम से करवाते है..ये लोग लॉज में जाकर ऐश करते हैं.. हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है कि पंचायत की अलिबाबा टीम का चेहरा ही पूरी तरह से बेनकाब हो गया है..
दरअसल समाज ने कुछ नियम बनाए हैं ..जिसमें पंचायत भवन देने के लिए समाज को प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान है नियमानुसार समाज कोई भी कार्य होता है. समाज के परिवार में शादी ब्याह होता है.. पंचायत भवन का उपयोग करने पर किराया नहीं लिया जाता है शादी. सगाई व अन्य. कार्यों के लिए समाज का जो भी व्यक्ति भवन का इस्तेमाल करता है वह व्यक्ति हैसियत के अनुसार पंचायत को दान के रूप में राशि प्रदान करता है..
लेकिन ज्यादा पैसा कमाने की आड़ में वर्तमान दरबारियों ने शहर में के गेंडा और कई नाम से चर्चित व्यक्ति जो किसी समय में गैस सिलेंडर रिफलिग करने का अवैध व्यापार करता था, फिर नशे के सामान बेचने लगा, उसके बाद गुटखा बनाने की अवैध फैक्ट्री लगाकर नामी कंपनियों के डुप्लीकेट गुटके बनाकर बाजार में बेचने लगा..और काली कमाई से धन अर्जित करने के बाद अब उन्होंने एक लॉज खोल रखी है.. हालांकि लाज में क्या-क्या होता है यह शहर के सभी लोग जानते हैं. उनके द्वारा अपने नाम से पंचायत भवन को बुकिंग कर दूसरे समाज के लोगों को ज्यादा पैसा लेकर उपलब्ध कराने का गोरख धंधाकिया जाता है। हलाकि नियम अनुसार पंचायत द्वारा निर्धरित राशी जमा की जाती हैभवन की आड़ में वह अपनी लाज को अटेच कर किया वसूलता है.इस धंधे में पंचायत के कई पदाधिकारियो की भी उनसे मिली भगत होना बताया जा रहा है..
पंचायत भवन के किराए के नाम पर हो रहे गोरख धंधे का तब खुलासा हुआ जब समाज का प्रतिष्ठित एवं पूज्य सिंधी पंचायत का एक पदाधिकारी बच्चों की होने वाली शादी के लिए भवन का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पंचायत भवन पहुंचा तो वहां पहले से ही लाज के संचालक ने दूसरे को किराए पर देने के लिए अपने नाम से भवन बुक कर रखा था। जबकि नियम अनुसार भवन बुक नही किया सकता। इसबात को लेकर बाद जब एक वरिष्ठ पदाधिकारी के पास गए तो पहले तो उन्होंने गलत जानकारी दी बाद में लाज के मालिक से मिलने की बात कह कर उसे लाज संचालक के पास भेज दिया .. उसने तो ऐसा जवाब दिया जैसे उसी ने पंचायत भवन को बनवाया हो। और जब इसकी शिकायत मुखिया से की गई तो उन्होंने अपने अंदाज में ऐसा जवाब दिया जिसके नाम से वे पहले से जाने जाते हैं। लेकिन इस बार वे अपनी कही गई बातों से बुरी तरह से फंस गए क्यों कि भवन के नाम से भटक रहे पंचायत के पदाधिकारी ने सब की बातों को मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया।उसके बाद जानकारी मिलने के बाद से इस मामले को लेकर समाज के लोग थू-थू कर रहे हैं।
उधर जब बात उजागर हुई तो पंचायत का गुलाटीबाज एक पदाधिकारी ने इस्तीफा दे दिया। मजेदार बात यह है कि उस पदाधिकारी का एक ऑडियो सामने आया है, हलाकि इसके पहले भी पंचायत का यह पदाधिकारी इस तरह का इस्तीफा दे चुका है। आज पंचायत के हालात यह है कि जरूरत पड़ने पर समाज के ही लोगों को पंचायत भवन नहीं दिया जाता है। पौने तीन सालो में एक भी बैठक सार्वजनिक रूप से नही की गई है..