संजय दुबे
फिल्म, कहते ही दो -तीन घण्टे की कोई फिल्म आंखों में घूम जाती है। हम मजे से टाइटल पर निगाहे जमाये रहते है। नायक – नायिका के बाद बामुश्किल गायक गायिका, गीतकार संगीतकार सहित निर्देशक निर्माता के नाम देख लेते है।इनके बीच अनेक नाम आते है जो देखे नही जाते है। ये नाम कला निर्देशक, ध्वनि, सिनेमेट्रोग्राफर सहित तकनीकी सहायकों के होते है। इन सभी के लिए भारत सरकार द्वारा पुणे में फिल्म एंड टेलीविजन ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट स्थापित किया है। 63 साल पुरानी इस संस्था की जिम्मेदारी थ्री इडियट्स के दूसरे इडियट्स आर. माघवन को दी गयी है। माधवन इस इंस्टिट्यूट के वे अध्यक्ष बनाये गए है। चूंकि माधवन मॉडलिंग से लेकर टेलीविजन, फिल्म में अभिनय कर चुके है इसलिए ये माना जा सकता है कि उनके कार्यकाल में ये इंस्टिट्यूट ऐसे नए शख्शियत देगा जो भविष्य में इस इंस्टिट्यूट का नाम वैसे ही रोशन करेंगे जैसे शत्रुघ्न सिन्हा, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, जया भादुड़ी, डैनी, सुभाष घई, संजय लीला भंसाली ने किया है।
ऐसा माना जाता है कि अभिनय,नैसर्गिक प्रतिभा होती है। कोई ट्रेनिंग काम नही आती है अन्यथा अमिताभ बच्चन औऱ जया भादुड़ी जैसे प्रतिभासंपन्न अभिनेता- अभिनेत्री की संतान अभिषेक बच्चन डबल इंजन होते। फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट की महत्ता पर्दे के सामने के बजाय पर्दे के पीछे के तकनीकी कार्यो के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसका प्रमाण है कि 63 साल में बड़े पर्दे पर उंगलियों में गिनने लायक अभिनेता -अभिनेत्री ही स्थापित हो सके। शत्रुघ्न सिन्हा,डैनी, मिथुन चक्रवर्ती, राजकुमार राव के अलावा अभिनेत्रियों में केवल जया भादुड़ी ही इंस्टिट्यूट का नाम रोशन कर सकी है।