अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश मिश्र सामाजिक बहिष्कार को लेकर आयोजित संगोष्ठी में शामिल हुए। जहां उन्होंने इस सामाजिक बहिष्कार से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को इस मुद्दे को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की अपील की। जिससे अन्याय के शिकार परिवारों को न्याय मिल सके।
दिनेश मिश्रा ने कहा कि आज हजारों फैमिली अन्याय की शिकार हो रही हैं। सामाजिक नियमों के खिलाफ यदि कोई जाता है तो उसे किसी भी सार्वजनिक जगह पर आने के लिए मनाही होती है। वो शादी, त्योहार,सांस्कृतिक कार्यक्रमों, तालाब और नदी तक में नहीं जा सकता है। उन्हें सजा के नाम पर मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। इसके बाद ये लोग 15 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक पीड़ित व्यक्ति से वसूली करते हैं। फिर उसकी सभी सजा माफ कर दी जाती है।
मृत्यु दंड से भी कठोर सजा
मिश्र ने बताया कि बहिष्कार किया गए व्यक्ति का जीवन बहुत ही कठिन हो जाता है। उसका और उसके परिवार के सभी व्यक्तियों का गांव में हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है। ये सजा मृत्यु दंड से भी कठोर सजा होती है। जिसमें परिवार को घुट-घुट कर अकेले जीना होता है। उनके बच्चों के साथ भी बुरा बर्ताव होता है।
चुनावी घोषणा पत्र में इन मुद्दों को रखना चाहिए
अंध श्रद्धा निर्माण समिति के अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की है कि आगामी चुनाव में इस गंभीर मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें। जिससे अन्याय से परेशान लोगों को राहत मिलेगी। इसके अलावा उन्होंने इस संबंध में कड़े कानून बनाने की भी मांग की है।