छत्तीसगढ़ विधानसभा का इतिहास 18 नवंबर को एक नया मोड़ लेने जा रहा है। इस दिन विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है, जो रायपुर स्थित पुराने विधानसभा भवन में आयोजित होगा। विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है

यह सत्र खास इसलिए भी होगा क्योंकि यह पुराने विधानसभा भवन में होने वाला आखिरी सत्र होगा। इसके बाद अगला सत्र नवा रायपुर स्थित नए विधानसभा भवन में आयोजित किया जाएगा।यह विशेष सत्र छत्तीसगढ़ विधानसभा की 25 साल की संसदीय यात्रा और केंद्रीय विषयों पर केंद्रित रहेगा। सत्र में राज्य की अब तक की राजनीतिक, सामाजिक और विकास यात्रा पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, उन प्रमुख नीतिगत फैसलों को भी याद किया जाएगा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ को आज के स्वरूप में खड़ा किया।
साल 2000 में राज्य गठन के बाद से रायपुर स्थित यह विधानसभा भवन छत्तीसगढ़ की लोकतांत्रिक यात्रा का केंद्र रहा है। यहीं से राज्य ने अपनी पहली नीतियां बनाई थीं, पहला बजट पेश हुआ था और पहली बार जनता के प्रतिनिधित्व का असली अर्थ साकार हुआ था।बीते 25 वर्षों में इस भवन ने कई मुख्यमंत्रियों, विधानसभा अध्यक्षों, विपक्ष के नेताओं और सैकड़ों विधायकों को आते-जाते देखा है। यहां हुए बहस, नीतियां और निर्णय राज्य के इतिहास में दर्ज हो चुके हैं।
अब यह ऐतिहासिक भवन अपनी भूमिका पूरी करने जा रहा है। नए भवन को आधुनिक संसदीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जहां डिजिटल कार्यप्रणाली, पेपरलेस सत्र और उन्नत सुरक्षा व्यवस्था जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
विधानसभा का यह विशेष सत्र न केवल पुराने भवन को विदाई देने का अवसर होगा, बल्कि राज्य की लोकतांत्रिक यात्रा को याद करने का भी पल होगा — जहां से छत्तीसगढ़ ने अपने 25 साल के सफर की दिशा तय की थी।

