छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सलियों को लेकर चलाई जा रही योजनाओं का असर दिखाई देने लगा है. बीजापुर में 37 लाख रुपये के इनामी नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है. इन माओवादियों की संख्या 25 बताई जा रही है. उनका कहना है कि अब वे नई जिंदगी शुरू करेंगे
बीजापुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर से बड़ी खबर है. यहां भैरमगढ़ एरिया कमेटी और गंगालूर एरिया कमेटी के 25 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. इन सभी माओवादियों पर 37 लाख रुपये का इनाम था. सरेंडर के बाद नक्सलियों ने कहा कि उन्होंने शासन की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति और बीजापुर पुलिस के ‘नियद नेल्ला नार’ योजना से प्रभावित होकर ये कदम उठाया है. बता दें, साल 2024 में अभी तक 170 माओवादी पुलिस के आगे सरेंडर कर चुके हैं. दूसरी ओर, पुलिस ने अलग-अलग माओवादी घटनाओं में शामिल 346 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है.
सरेंडर करने वाले नक्सलियों में पीएलजीए पार्टी के 8-8 लाख रुपये के इनामी 3 सदस्य, 16 सेक्शन का 3 लाख रुपये का इनामी डिप्टी कमांडर, एलओएस दल के सदस्य और सीएनएम दल के अध्यक्ष 1-1 लाख रुपये के इनामी दो माओवादी शामिल हैं. एसपी बीजापुर जितेंद्र यादव ने कहा कि आज बड़ा दिन है. इन नक्सिलयों ने सीनियर माओवादियों की प्रताड़ना से तंग आकर, मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना से तंग आकर समाज की मुख्य धारा में लौटने का फैसला किया है. ये सभी सामान्य जीवन जीना चाहते हैं. ये माओवादी सरकार की और पुलिस की योजनाओं से खुद का जीवन बदलना चाहते हैं. इन माओवादियों सीआरपीएफ और बीजापुर के संयुक्त अभियान के तहत सरेंडर किया है.
नक्सलियों को मुख्य धारा में लाना मकसद है- डिप्टी सीएम शर्मा
गौरतलब है राज्य सरकार और कंद्रीय गृह मंत्रालय छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं. राज्य के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि नक्सलियों की सरेंडर पॉलिसी को और बेहतर करना है, सुविधाओं को जोड़ना है. हम चाहते हैं और सुविधाएं देकर उनका जीवन व्यवस्थित करें. बस्तर की स्थिति ऐसी है कि सरेंडर करने वालों को सात दिन के अंदर आप गन पकड़ाकर गनमैन बना सकते हैं. ये इतने विश्वासपात्र होते हैं. वे अनावश्यक बंदूक लेकर निकले हैं, इसलिए हमारा मकसद उन्हें मुख्यधारा में जोड़ना है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संकल्प बड़ा है. चाहे धारा 370 हटाने की बात हो, या आतंकवादियों, उग्रवादियों पर कार्रवाई की बात हो, जो समय सीमा तय की गई है, उस अवधि तक बस्तर में नक्सलवाद पर पूर्ण नियंत्रण करेंगे. नक्सल क्षेत्रों तक विकास पूरी तरह पहुंचेगा.

