तिल्दा नेवरा -वैसे तो सरकारी विकास कार्यों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है,शहर के बीचो-बीच 50 दिन पहले 50 लाख की लागत से बनाई गई सड़क पहली बारिश का झोंका नहीं झेल पाई, नतीजा गिट्टिया सड़क के किनारे हो गई और सड़कों पर बड़े गड्ढे बन गए अब गड्ढो में भरा पानी लोगों के परेशानी सबब बन गया है । मजेदार बात तो यह है कि सड़क बनाने वाले ठेकेदार को नगर पालिका के इजीनियर ने तुरंत भुगतान करने कि प्रक्रिया को पूरा नाप जोक कर फाइल को अफसर की टेबल तक पहुचा दिया,अफसर ने भी नियमो को बलाए ताक में रख बिना देर किए ठेकेदार को लाखो का भुगतान कर दिया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 22 पार्षदों वाली इस नगर पालिका में 50 दिन पहले बनी सड़क के उखड़ जाने के बाद भी कोई पार्षद विरोध करने सड़क पर नहीं उतरा है..।
हालांकि जब सड़क का निर्माण किया जा रहा था तो शहर के लोग जान चुके थे कि सड़क की जिंदगी ज्यादा दिन की नहीं होगी।कुछ लोगों ने अपने पार्षदों से इसकी शिकायत की थी लेकिन.अपने फायदे के चलते वार्ड के लोगों की शिकायत को अन सुना कर दिया या फिर यह कहे कि सब कुछ देखने के बाद भी अपनी आंखें बंद कर ली।ऐसे जिस सड़क का डाबरी कारण कराया गया उस सड़क का हर दो सालों में नए सिरे से निमार्ण कराया जाता है, या फिर मरम्मत कर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। सड़क बनने के कुछ दिन बाद सड़क की हालत ऐसी हो जाती है बनाई गई नई सड़क ढूंढने से भी नहीं मिलती है ,तभी फिर सड़क बनाने की मांग उठती है और लाखों रुपए खर्च कर सड़क बना दी जाती है.।
लेकिन इस बार सड़क बनाने में हुए भ्रष्टाचार की पोल दो दिनों से लगातार हुई बारिश ने खोल कर रख दी। 50 दिन पहले 50 लाख की लागत से अग्रसेन चौक से लेकर दीनदयाल चौक तक डामरीकरण कर जिस सड़क का निर्माण कराया गया| था बारिश होते ही भ्रष्टाचार की लव पर बनी सड़क की गिट्टिया किनारे हो गई और सड़क बड़े-बड़े गड्ढे बन गए. जिसमें बारिश का पानी भरा होने के कारण लोग उन गड्ढे में गिरकर घायल हो रहे हैं।सड़क पर उग आए गड्ढे खुद भ्रष्टाचार की दास्तान को बयां करते हुए गवाह बने हुए हैं.।