किसानों के बाद अब पंजाब के कारोबारी-उद्योगपति भी केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने जा रहे हैं. मार्च की पहली तारीख को पंजाब के कारोबारियों ने ‘रेल रोको’ आंदोलन आह्वान किया है. ये आंदोलन आयकर कानून की एक धारा में नया क्लॉज जोड़े जाने के खिलाफ है.
मार्च की शुरुआत कारोबारी-उद्योगपतियों के प्रदर्शन से होने जा रही है. कारोबारी भी पंजाब के हैं. ये कारोबारी केंद्र सरकार के खिलाफ मार्च की पहली तारीख को ही बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
कारोबारियों-उद्योगपतियों का ये प्रदर्शन केंद्र सरकार के एक कानून के खिलाफ होने जा रहा है. दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले साल आयकर कानून की धारा 43B मेंएक नया क्लॉज (H) जोड़ा था. और कारोबारी-उद्योगपति इसी से नाराज हैं.
कारोबारी-उद्योगपति इस संशोधन को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. और इसी कारण वो 1 मार्च को ‘रेल रोको’ आंदोलन करने जा रहे हैं.
दावा है कि ये धारा 43B (H) न सिर्फ कारोबारी-उद्योगपतियों के लिए, बल्कि एमएसएमई कारोबारियों के लिए भी गले की फांस है. और इससे बाजार में उथल-पुथल मचसकती है.
पर ऐसा क्यों?
आयकर कानून 1961 की धारा 43B कहती है कि कारोबार में होने वाले कुछ खर्चों की अनुमति तभी होगी, जब उनकी वास्तविक पेमेंट की जाएगी इसमें टैक्स, ड्यूटी, सेस, फी, इंटरेस्ट, बोनस, कमिशन जैसे खर्च शामिल होते हैं.
मान लीजिए कि अगर आपने 2023-24 में इन खर्चों का पेमेंट कर दिया है,तो असेसमेंट ईयर 2024-25 में आप इन्हें क्लेम कर टैक्स बचा सकते हैं.
पिछले साल केंद्र सरकार ने 43B (H) जोड़ा था. ये 1 अप्रैल 2023 से लागू हो चुका है. ये धारा मीडियम, स्मॉल और माइक्रो एंटरप्राइजेज (MSME) पर लागू होती है.ये धारा कहती है कि ऐसे सप्लायर जो MSME में आते हैं, उनसे कोई डील होती है, तो उसकी पेमेंट 45 दिन के भीतर करनी होगी.
ये 45 दिन उस दिन से गिना जाएंगे, जिस दिन आपको सामान की डिलिवरी हो चुकी होगी. अगर 45 दिन के बाद पेमेंट की जाती है तो फिर वो अगले असेसमेंट ईयर में मानी जाएगी. अगर पेमेंट नहीं होती है तो.फिर इसे आय यानी इनकम में माना जाएगा और इस पर टैक्स देना होगा.
MSME सप्लायर उसे माना जाएगा, जो केंद्र सरकार के उद्यम पोर्टल में रजिस्टर्ड है औरमैनुफैक्चरर या सर्विस प्रोवाइडर है.
इसे ऐसे समझिए…
मान लीजिए कि आपने किसी MSME सप्लायर से 1 मई 2023 को कोई सामान खरीदा. लेकिन उसकी पेमेंट 31
मार्च 2024 तक नहीं की, तो फिर ऐसी स्थिति में इस पेमेंट पर भी टैक्स लगेगा.
उदाहरण के लिए, 1 मई 2023 को आपने सप्लायर से 2 लाख का सामान खरीदा. धारा 43B(H) के तहत, 45 दिन के अंदर इसकी पेमेंट करनी चाहिए थी. लेकिन चूंकि 31 मार्च 2024 तक इसकी पेमेंट नहीं हुई, इसलिए इसे क्लेम नहीं किया जा सकेगा.
आपने2023-24 में टैक्स रिटर्न में 10 लाख का प्रॉफिट दिखाया. लेकिन इसमें 2 लाख की पेमेंट भी बाकी है. तो आपको 12 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा.
वहीं, अगर आपने 1 मई 2023 को सामान खरीदने के बाद 14 जून 2023 के अंदर ही उसकी पेमेंट भी कर दी, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.
तो इसमें परेशानी क्या है?
विरोध करने वालों का कहना है कि इससे सामान खरीदने वाला और बेचने वाले, दोनों पर ही इसका असर पड़ेगा.
तर्क है कि सरकार ने 45 दिन की पाबंदी लागू कर दी तो MSME सप्लायर को ऑर्डर मिलने बंद हो सकते हैं. साथ ही अगर किसी ने उनसे सामान खरीदा और किसी कारण से 45 दिन के अंदर पेमेंट नहीकर सके, तो फिर उस पेमेंट का इनकम मान लिया जाएगा, जिस पर टैक्स चुकाना होगा.
ऐसी स्थिति में MSME सप्लायर का कारोबार भी ठप होगा और दुकानदारों का भी.जिससे बाजार में आपूर्ति प्रभावित हो सकती है और बाजार में उथल-पुथल मच सकती है.