चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SBI पर बड़ी टिप्पणी की है. सीजेआई ने कहा कि हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था, आप आदेश का पालन कीजिए. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आपको सिर्फ डेटा सील कवर से निकालना है और भेजना है.सीजेआई ने SBI ने पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया,कितना डेटा मिलान किया.
सीजेआई ने ये भी कहा कि मिलान के लिए समय मांगना सही नहीं है.हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है. आखिरकार सारा ब्यौरा मुंबई मुख्य शाखा में भेजा जा चुका है.आपने अर्जी में कहा है कि एक साइलो से दूसरे साइलो में जानकारी का मिलान समय लेने वाली प्रक्रिया है.
पांच जजों की संविधान पीठ कर रही है मामले की सुनवाई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.- ADR की SBI के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर भी सुनवाई हुई. पांच जजों का संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिसजेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई.
हरीश साल्वे ने SBI की ओर से दलील दी कि हमें और वक्त चाहिए. साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक SBI को अप्रैल 2019 से अब तक का ब्योरा चुनाव आयोग को देना है. हमारी एकमात्र समस्या यह है कि हम पूरी प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी SoP ने सुनिश्चित किया कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं था. हमें बताया गया कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए. हम जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहे हैं. सीजेआई ने कहा कि आप कहते हैं कि दाता का विवरण एक निर्दिष्ट शाखा में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था. सभी सीलबंद लिफाफे मुंबई में मुख्य शाखा में जमा किए गए थे. दूसरी ओर राजनीतिक दल 29 अधिकृत बैंकों से पैसा भुना सकते हैं. SBI के वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है. उसे डिकोड करने में समय लगेगा.