मेरे होनहार,संस्कारित.छात्र अपने गुरु के चरण स्पर्श करने की परम्पराको कायम रखे हुए है: गिडीयन
देश के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान युवाओं की होता,हर एक युवा को अपनी जिम्मेवारी तय करते हुए देश निर्माण में लग जाना चाहिए;डॉ.प्रकाश
तिल्दा नेवरा,बद्रीनारायण बगड़िया शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उस समय पुरानी यादों में खो गया जब1972 से 1973 बैच के आधा दर्जन पूर्व छात्र एक भव्य समारोह में शामिल हुए।इतना ही नही जिस गुरु विमल कुमार गिडीयन ने इन छात्रों को पढ़ाया था,वे भी इस गरमामयी कार्यक्रम में शामिल हुए,विद्यालय के भवन, कक्षा और परिसर को याद कर पूर्ववर्ती छात्रगण भावुक हो गए। उन्होंने अपनी यादें साझा की। विद्यालय से मिली शिक्षा, ज्ञान और गुणों के प्रति शिक्षकों का आभार जताया। साथ ही कहा कि वे जहां कहीं भी रहेंगे विद्यालय से उनका लगाव हमेशा बना रहेगा।
दरअसल यह कार्यक्रम गुजरात सूरत निवासी डॉ.प्रकाश टहल्याणी के कहने पर आयोजित किया गया था,प्रकाश टहल्याणी ने 1974 तक बी.एन.बी.शाला में अध्यनरत थे,शुरू से ही मेघावी छात्र रहे प्रकाश दसवी की मेरिट लिस्ट में आए,1975 में उसका परिवार गुजरात सूरत में बस गया,आगे पढाई प्रकाश ने सुरत में पूरी की और डाक्टर बन गए, प्रकाश टहिलयानी के द्वारा लीवर से संबंधित अनेक दवाइयां निर्मित की गई है, जो विश्व स्तर की हैं, कई देशों में जाकर उनके द्वारा व्याख्यान भी दिए गए है, प्रकाश ने इचछा जताई की जहा वे पढ़े है उस स्कुल में पढने वाले छात्रों का सहयोग कर उसका सम्मान करे, इसके लिए उन्होंने अपने सहपाठी छात्र डॉ.बसंत हरिरामानी.डॉ.हरीश विरानी.कृष्ण मुरारी वर्मा.नेभन दास बचवानी, ओमप्रकाश भोजवानी के साथ उसने अपने गुरुदेव से भी इस बात से चर्चा की,कार्यक्रम तय होने के बाद वे पत्नी श्रीमती मीना के साथ तिल्दा आ गए,उनके आने पर सभी दोस्तों ने अपने दोस्त का स्वागत किया,
इस मौके पर बद्रीनारायण बगड़िया शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एक गरमामयी समारोह आयोजित कर डॉ.प्रकाश टहल्याणी,और गुरुदेव विमल कुमार गिडीयन,का संस्था प्रमुख प्राचार्य डॉ राजेश कुमार चंदानी ने उनके सभी सहपाठी छात्रो और तत्कालीन शिक्षक श्री गिडीयन को स्मरति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया,इस मौके पर डा.प्रकाश टहल्याणी ने मेधावी छात्रा रीत बघेल को 2100 रुपएनकद कापी पुस्तक स्कूली ड्रेस देकर सम्मानित किया,
इस मौके पर उन्होंने कहा बच्चों के बालपन में गढ़ी जानेवाली तस्वीर ताउम्र रह जाती है। अपने परिवार के साथ समाज और देश के प्रति भी युवाओं की जिम्मेवारी होती है। देश के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान युवाओं की होता है, चाहे वह नौकरी करता युवा हो या देश की सीमा पर रक्षा में लगे जवान। हर एक युवा को अपनी जिम्मेवारी तय करते हुए देश निर्माण में लग जाना चाहिए।
श्री गिडीयन ने कहा मैं आज यहां अपने आप को खड़ा देख बेहद सम्मानित और साथ ही साथ बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ, मुझे जो आज यहाँ मेरे पढाए बच्चों ने जो सम्मान दिया है.उसे मै कभी नही भुला पाउगा,मेरे होनहार, संस्कारित छात्र अपने गुरु के चरण स्पर्श करने की परम्परा को कायम रखे हुए है, उन्होंने कहा,आज मै जो कुछ भी हूं एक बेहतर शिक्षक के वजह से हूं ,मेरी पहचान मेरे शिक्षक है।
कार्यक्रम का संचालन संस्था के वरिष्ठ व्याख्याता जितेंद्र कुमार जेहोआश एवं एस के सेन व्याख्याता द्वारा किया गया कार्यक्रम में छात्र लक्ष्मी एवं साथी द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया समस्त शिक्षक गण व्याख्याता सुषमा दुबे किरण साहू;अल्का मिश्रा,के सी कश्यप,एस के टंडन,रात्रे सर ,कांति बारा ,कुसुम नाग,टी खाखा,चुरामन निषाद तुकेंद्र वर्मा,सविता वर्मा, सुमन नेताम, बीएस नेताम एवं क्रीड़ा शिक्षक; ध्रुव ऐसे शिक्षक और सफल छात्रों का जो समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है को पाकर बहुत गदगद है तथा उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते है।