Saturday, July 5, 2025
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चुनावी गारंटी… सत्ता में आने के लिए अब मुफ्त की रेवड़ियों पर राजनीतिक दलों को सोचना तो पड़ेगा

नई दिल्ली: बिजली फ्री, पानी फ्री, राशन फ्री, बस सेवा फ्री… अगर बस चले तो नेता चुनाव से पहले जनता के 7 खून भी माफ कर दें।सत्ता पर काबिज होने के जुनून के चलते राजनीतिक दलों ने भारत की राजनीति का फोकस मुफ्त की रेवड़ियों की तरफ मोड़ दिया है। फ्री में मिलने वाली सेवाएं कुछ समय तक तो जनता और नेताओं के लिए फायदे का सौदा होती हैं। लेकिन इसके दूरगामी परिणाम काफी घातक साबित हो सकते हैं। फ्री योजनाओं के चक्कर में राज्य कर्जे में डूब सकता है। मूलभूत सुविधाओं को सुचारू रखने के लिए भी पर्याप्त फंड का इंतजाम करना सरकारों के लिए चुनौती बन सकता है। इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक से सामने आया है।

कांग्रेस कीकर्नाटक सरकार इस वक्त आर्थिक तंगी से जूझ रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ही पार्टी नेताओं और सरकार को सख्त लहजे में खरा-खरा सुना डाला। खरगे ने साफ कहा कि उतनी ही गारंटी का वादा करें, जितना दे सकें। वरना सरकार दिवालियापन की तरफ चली जाएगी। कर्नाटक से ‘मुफ्त की रेवड़ी’ को लेकर जो उदाहरण सामने आया है, उससे सभी राजनीतिक दलों को सबक लेने की जरूरत है।

कर्नाटक में ‘शक्ति’ गारंटी की समीक्षा किए जाने संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार की खिंचाई की है। दरअसल, शिवकुमार ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार ‘शक्ति’ योजना पर फिर से विचार करेगी क्योंकि कुछ महिलाओं ने सरकारी बसों में यात्रा के लिए भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार की इस गारंटी के तहत महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा प्रदान की जाती है। खरगे ने शिवकुमार के इस बयान पर तंज कसते हुए कहा था, ‘आपने कुछ गारंटी दी हैं। उन्हें देखने के बाद मैंने भी महाराष्ट्र में कहा था कि कर्नाटक में 5 गारंटी हैं। अब आपने (शिवकुमार) कहा कि आप एक गारंटी छोड़ देंगे।’ एक बार फिर देश के सियासी गलियारों में ‘मुफ्त की रेवड़ी’ चर्चा में है।

कब शुरू हुआ मुफ्त रेवड़ी का कल्चर?

चुनावों में मुफ्त की सौगात का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी शुरुआत तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता ने की थी। उन्होंने मुफ्त साड़ी, प्रेशर कुकर जैसी चीजें देकर इस चलन की नींव रखी थी। बाद में, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में मुफ्त बिजली और पानी का वादा करके 2015 का चुनाव जीता। केरल में भी वाम दलों ने मुफ्त राशन किट देकर जीत हासिल की।

यहां भी दिखाया मुफ्त रेवड़ी ने असर

केरल में 2021 के विधानसभा चुनावों में भी मुफ्तखोरी का असर दिखा। लोकसभा चुनावों में हार के दो साल बाद सत्ताधारी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने सब्सिडी वाले चावल और खाद्य किट मुफ्त में देने का वादा करके लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की। पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को भी प्रचंड बहुमत मिला था। आप ने सत्ता में आने पर पंजाब के लोगों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 18 साल या उससे ज्यादा उम्र की हर महिला को 1,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था।

…पानी के ‘बढ़े हुए’ बिल भी माफ कर देंगे’

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिल्ली में बिजली के बिल फ्री करने वाली स्कीम से आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली में जबदस्त सीटें मिली थीं। इसे देखते हुए अन्य राजनीतिक दलों ने भी फ्री की स्कीम को तवज्जो देना शुरू कर दिया। हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी पदयात्रा में दिल्लीवालों को वादा किया है कि वह पानी के ‘बढ़े हुए’ बिल भी माफ कर देंगे। साथ ही उन्होंने दावा किया कि बीजेपी अगर दिल्ली में सत्ता में आती है, तो वह ‘आप’ सरकार की मुफ्त बिजली, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और महिलाओं के लिए बस यात्रा की योजनाओं को बंद कर देगी। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

बीजेपी भी पीछे नहीं

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि फ्री सेवाओं के मामले में बीजेपी भी पीछे नहीं है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले 5 साल तक फ्री राशन वाली स्कीम को बढ़ा दिया था। दरअसल भारत सरकार ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की थी जिसके तहत हर गरीब जरूरतमंद इंसान को 5 किलोग्राम तक मुफ्त राशन देती है। सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 1 जनवरी 2024 से अगले पांच सालों तक के लिए बढ़ा दिया गया है। हाल ही में बीजेपी हरियाणा में प्रचंड जीत मिली है। चुनाव से पहले बीजेपी ने हरियाणा में जो संकल्प पत्र जारी किया था, उसमें कहा था कि वह हर महीने महिलाओं को लाडो लक्ष्मी योजना के तहत 2100 रुपये देगी। ताज्जुब की बात यह है कि बीजेपी पहले मुफ्त की योजनाओं के खिलाफ थी, लेकिन धीरे-धीरे वह भी इस राह पर चल पड़ी।

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