Tuesday, July 8, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने महिला सरपंच को किया बहाल, राज्य सरकार पर लगाया 1 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने महिला सरपंच की याचिका पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने महिला सरपंच को हटाए जाने के फैसले को गलत बताते हुए उसे बहाल कर दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया.
  • सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार
  • जशपुर की महिला सरपंच को किया बहाल
  • छत्तीसगढ़ सरकार पर लगाया 1 लाख का जुर्माना
  • कहा- अधिकारी से पैसे वसूलने के लिए राज्य स्वतंत्र

रायपुर: छत्तीसगढ़ के एक सुदूरवर्ती गांव की निर्वाचित महिला सरपंच को अनुचित कारणों से हटाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई और कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि सरपंच ‘‘बाबू (नौकरशाह) के सामने भीख का कटोरा लेकर जाए’’।न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने जशपुर जिले के एक गांव की महिला सरपंच सोनम लकड़ा को हुए मानसिक उत्पीड़न के लिए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है,जिसका भुगतान चार सप्ताह में किया जाना है।

अधिकारियों ने की मनमानी

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक निर्वाचित सरपंच को हटाने में अधिकारियों की ओर से की गई मनमानी का मामला है, एक युवा महिला जिसने छत्तीसगढ़ के एक सुदूर क्षेत्र में अपने गांव की सेवा करने के बारे में सोचा था।’’ पीठ ने कहा, ‘‘उसकी प्रतिबद्धताओं की प्रशंसा करने या उसके साथ सहयोग करने अथवा उसके गांव के विकास के लिए उसके प्रयासों में मदद करने के बजाय, उसके साथ बिल्कुल अनुचित व्यवहार किया गया।’’

कोर्ट ने कहा- बहाना बेकार है

शीर्ष अदालत ने निर्माण सामग्री की आपूर्ति और निर्माण कार्य पूरा होने में देरी के कारण उसे सरपंच के पद से हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करने को ‘बेकार का बहाना’ करार दिया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘निर्माण कार्यों में इंजीनियर, ठेकेदार और सामग्री की समय पर आपूर्ति के अलावा मौसम की अनिश्चितताएं शामिल होती हैं और इसलिए, निर्माण कार्यों में देरी के लिए सरपंच को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जब तक कि यह नहीं पाया जाता कि काम के आवंटन या सौंपे गए किसी विशिष्ट कर्तव्य को करने में देरी हुई थी।’

अधिकारी से वसूली कर सकता है राज्य

उन्होंने कहा, ‘‘हम संतुष्ट हैं कि कार्यवाही शुरू करना एक बेबुनियाद बहाना था और अपीलकर्ता को झूठे बहाने से सरपंच के पद से हटा दिया गया।’’ उप-संभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा पारित निष्कासन आदेश को रद्द करते हुए, पीठ ने महिला को उसका कार्यकाल पूरा होने तक सरपंच के पद पर बहाल कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि अपीलकर्ता को परेशान किया गया है और उसे टालने योग्य मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ा है, इसलिए हम उसे 1 लाख रुपये अदा किये जाने का आदेश देते हैं, जिसका भुगतान छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा चार सप्ताह के भीतर किया जाएगा।’’ पीठ ने कहा कि राज्य महिला को परेशान करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से राशि वसूलने के लिए स्वतंत्र है।

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