रायपुर:-छत्तीसगढ़ में राजनीतिक नियुक्तियों का भाजपा नेताओं का इंतजार अब खत्म होने वाला है। निगम, मंडल, बोर्ड और आयोग में अध्यक्ष पद के लिए पार्टी पदाधिकारियों में सहमति बन गई है। बीजेपी कभी भी इसकी पहली सूची जारी हो सकती है सूत्रों के अनुसार, निगम और मंडल में नियुक्तियो के लिए कुछ नाम फाइनल भी कर लिए गए हैं। जानकारी के अनुसार, लिस्ट में बीजेपी के कुछ सीनियर नेता, प्रवक्ताओं के साथ संगठन में काम कर चुके लोग भी शामिल हैं। वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओ का भी ख्याल रखा गया है
इतना ही नही नमो को लेकर बनी सूची में रमन सरकार में रहे कुछ पुराने निगम मंडल के सदस्यों के नाम भी हो सकते हैं, चर्चा है कि पार्टी ने पहले तय किए गए मापदंडों को दर किनार कर दिया है…। क्यों कि पूर्व में लिए गए निर्णय संगठन के भीतर असंतोष का कारण बन सकता है
पहले यह तय किया गया था कि विधानसभा चुनाव हार चुके नेता और पूर्व मैं निगम मंडलों में पद पर रहे लोग संगठन के मौजूद पदाधिकारी को दोबारा मौका नहीं मिलेगा, बल्कि नए चेहरे को प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन अब जिन नामो की चर्चा हो रही है उनमें चुनाव हारे हुए नेता और पूर्व में नगर निगम मंडलों में रह चुके पदाधिकारी और संगठन से जुड़े लोग भी शामिल है इससे साफ है साफ होता दिख रहा है किपार्टी ने अपने ही नियमों को शिथिल कर दिया है …
ऐसी खबरें हैं कि पहली सूची पर राष्ट्रीय नेताओं की सहमति बन चुकी है। ऐसे में निगम, मंडलों और आयोगों की पहली लिस्ट कभी भी जारी हो सकती है। दरअसल छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद से अभी तक निगम, मंडल और आयोगों में नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। सरकार बनने के बाद पहले लोकसभा का चुनाव फिर नगर निगम. जिला पंचायत चुनाव सब निपट चुके है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद पार्टी का उत्साह चरम पर है. चर्चा है कि इसी उत्साह के बीच पार्टी जल्द से जल्द निगम मंडलों की सूची जारी कर सकती है.ऐसे में दर्जनभर निगम, मंडलों में नियुक्ति की जा सकती हैं।
कहा तो ये भी जा रहा है कि नामों की लिस्ट तैयार कर ली गई है. उन नामों में रमन सिंह के कार्यकाल में निगम मंडल संभाल चुके सदस्यों के नाम भी शामिल हैं.
हलाकि साय सरकार के मंत्री मडल की तरह निगम मंडलो में भी हर वर्ग को कही न कही सेट करने की कोशिश की जाएगी. यहा मंत्री और नेतओ का भी ख्याल रखा जाएगा. साथ ही केन्द्रीय नेत्रत्व और संगठन के साथ मुख्य मंत्री का कितना दखल होता है. और किसके लिए कौन सी जगह सैट होती है ..भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि हाल ही में दिल्ली से लौटे मुख्य मंत्री और दोनों उप मुख्य मंत्री राष्ट्रीय अध्यस मिले तथे वहा से हरी झंडी मिल चुकी है इसलिए अब नियुक्तियों में देर नही लगेगी..
आयोग को लेकर वैसे तो दर्जनों दावेदार हैं, लेकिन पहली सूची छोटी होने की संभावना है. जिसमें संगठन के बेहद नजदीकी लोगों की नियुक्तियां की जा सकती हैं, जो राज्य में भाजपा की सरकार बनाने की योजना पर पिछले पांच सालों से लगातार काम करते रहे हैं और सरकार आने के बाद भी धैर्य नहीं खोए हैं.
सूत्रों की मानें तो इस सूची में संजय श्रीवास्तव,प्रबल प्रताप सिंह जूदेव,सौरव सिंह,केदारनाथ गुप्ता, भूपेंद्र सिंह सवन्नी, राजीव अग्रवाल, श्रीनिवास भद्दी.देवजी भाई पटेल और अनुराग सिंह देव का नाम शामिल है. इसके अलावा दो संगठन के महामंत्री जो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं उनका नाम भी सूची में हो सकता है.महिलाओ में लक्ष्मी वर्मा को किसी आयोगका दायित्व दिया जा सकता है,,फिलहाल वर्तमान विधायकों को पद देने जैसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. कुल मिलाकर भाजपा में जितनी तेजी से चर्चाएं शुरू होती हैं, उतनी तेजी से निर्णय नहीं हो पाते हैं. यही वजह है कि अधिकांश संभावनाओं की ओर नजरें टिकी हुई हैं.