तिल्दा नेवरा -शासकीय करण की एक सूत्रीय मांग को लेकर पिछले एक माह से ग्राम पंचायत सचिवों के द्वारा की जा रही हड़ताल के चलते ग्राम पंचायतों मैं किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हो पा रहा है… सचिवों की हड़ताल के कारण चुनाव जीतकर आए ज्यादातर नए सरपंचों को भी प्रभार नहीं मिल पाया है,, सरपंचों को प्रभार नहीं मिलने के कारण सभी सरपंच बेकार बैठे हुए है।
पिछले 1 महीने से पंचायत सचिव शासकीय करण की मांग को लेकर हड़ताल पर है। सचिवों की हड़ताल के चलते गांव में राशन कार्ड, जन्म मृत्यु पंजीयन, पेयजल और निस्तार जैसी मूलभूत सुविधाओं के कार्य बाधित है. सचिवों की अनुपस्थिति में 15वें वित्त की राशि का उपयोग नहीं होने के कारण कई जरूरी निर्माण और विकास कार्य पर भी विराम लगा हुआ है।

ग्राम पंचायत चुनाव जीने के बाद जैसे ही सरपंचों की कार्यभार संभालने की बारी आई तो पंचायत सचिव हड़ताल पर चले गए …सचिन की अनुपस्थिति में प्रशासन में वैकल्पिक व्यवस्था की है लेकिन सचिवों के हड़ताल पर जाने से सरपंचों को प्रभार नहीं मिल पाया है..। जबकि सरपंच और पंचों ने शपथ ग्रहण कर लिया है अधिकृत रूप से सरपंच और पांच तो बन गए हैं ..लेकिन इसके पहले ही सचिवो के हड़ताल पर जाने के कारण सरपंच प्रभार ही नहीं ले सके.. कुछ गिनती के पंचायत ही ऐसे हैं जहां के सचिवों ने सरपंचों को उनके पद का प्रभाव दिला दिया है ..जबकि ज्यादातर पंचायत ऐसी है जहां सरपंचों को प्रभार ही नहीं मिला है ..इसके कारण वह किसी भी तरह का काम नहीं कर पा रहे हैं इसके साथ ही पंचायत में विकास की रफ्तार पूरी तरह से थम चुकी.है .

तिल्दा विकासखंड के सचिव जनपद पंचायत परिसर में हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक हमारी एक सूत्रीय मांग पूरी नहीं होगी हमारी हड़ताल जारी रहेगी। सचिव संघ एक तरफ सरकार से औपचारिक घोषणा करने की बात कह रहा है.. वही कोई पहल नहीं होने की स्थिति में पंचायत सचिव संघ आंदोलन को दिल्ली तक पहुंचाने का मन बना लिए है। यदि एक सप्ताह के भीतर सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं मिले तो सॉन्ग 28 अप्रैल को दिल्ली में प्रदर्शन के लिए कुछ करेगा।
हालांकि पिछले एक महीने से हड़ताल पर रहने से सचिव नरम पड़ चुके हैं सचिव संघ सरकार से आश्वासन पर वापस जाने के संकेत दे रहे हैं.. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संघ ने 25 वर्ष पुराने साथियों को नियमित कारण करने की घोषणा करने की बात कह रहे हैं.. इसके अलावा सरकार की ओर से यह घोषणा कर दे, वेतन अगले वर्ष से जारी कर दे तो वापस लौटने को तैयार है।

सचिव संघ का कहना कि मोदी की गारंटी में हमारी मांगों को रखा गया था चुनाव जीतने के डेढ़ साल बाद भी शासन ने द्वारा इस पर कोई पहल नहीं की गई है इसीलिए सचिव संघ को हड़ताल का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है जब तक आश्वासन नहीं मिलेगा वापस नहीं जाएंगे।
इस संदर्भ में जब को से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि शासन स्तर पर चर्चा जारी है रहा सवाल कामकाज का तो सचिवों की अनुपस्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है और जरूरी काम का जारी है।
शासन प्रशासन ने आम जनता को सरकार से मिलने वाली योजनाओं के लाभ से वंचित न हो इसके लिए प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रोजगार सहायक सहायक सचिव पटवारी करारोपण अधिकारियों और अन्य पंचायत कर्मियों को प्रभाव दिया है इसीलिए सरकारी योजनाओं के कामकाज तो चल रहे हैं लेकिन सचिवों की अनुपस्थिति में वित्तीय अधिकार नहीं मिलने के कारण ग्राम पंचायत में कामकाज पूरी तरह से टेप पड़े हुए हैं। यू कहे कि चुनाव जीतकर आने के बाद पद तुम मिल गया लेकिन सरपंच इन दोनों बेरोजगार बैठे है

