Tuesday, July 8, 2025
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USA और कनाडा में छत्तीसगढ़ से सायबर ठगी, दुर्ग पुलिस ने अंतर्राष्ट्रीय ठग गिरोह का किया पर्दाफाश

दुर्ग= छत्तीसगढ़ के भिलाई में पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी करने वाले 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी अमेरिका और कनाडा के लोगों को निशाना बनाकर डॉलर में ठगी कर रहे थे।आरोपी फर्जी ई-सिम और अंतरराष्ट्रीय नंबरों का इस्तेमाल करते थे। वे अमेरिका-कनाडा के लोगों को ईमेल या टेलीग्राम पर वायरस लिंक भेजते थे और फिर वायरस हटाने के नाम पर डॉलर में पैसे वसूलते थे।

पैसे क्रिप्टो करेंसी (ई-वॉलेट) से लिए जाते थे और लोगों का सिस्टम साफ करने का दावा कर उनके नंबर ब्लॉक कर दिए जाते थे।पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि भिलाई के चौहान टाउन में कुछ लोग अवैध कॉल सेंटर चला रहे हैं। यहां अवैध रूप से ऑनलाइन इंटरनेट का इस्तेमाल कर साइबर फ्रॉड को अंजाम दे रहे हैं।

इसके बाद सीएसपी की अगुवाई में पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर बी/2 मकान में छापा मारा। वहां से 6 पुरुष और 2 महिलाओं को पकड़ा गया। इस ठग गैंग का मुखिया होटल बेल में रुका था। पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है।इस पूरे ठगी रैकेट का मास्टरमाइंड अर्जुन शर्मा (23) हरियाणा का रहने वाला है। पुलिस की पूछताछ में गिरोह के मास्टरमाइंड अर्जुन शर्मा ने इस साइबर ठगी का खुलासा करते हुए बताया कि वे फर्जी ई-सिम से इंटरनेशनल मोबाइल नंबर के जरिए अधिकतर यूएसए के लोगों को निशाना बनाते थे।

गिरोह के लोग टेलीग्राम या ईमेल के जरिए बग (वायरस) फर्जी डिजिटल लिंक भेजते थे। फिर लोगों को उसी वायरस को हटाने के बहाने दूसरा लिंक भेजकर उनसे पैसे वसूलते थे।कॉल सेंटर में बैठे साथियों को कॉल सिस्टम में ट्रांसफर कर लोगों को बग (वायरस) हटाने के नाम पर धोखाधड़ी करते और उनसे 80 से 200 अमेरिकी डॉलर ऐंठते थे।

कंप्यूटर की भाषा में, “बग” (Bug)एरर को कहते हैं जो किसी सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम में अनजाने में हो जाता है। यह प्रोग्राम को सही तरीके से काम नहीं करने देता। वहीं, “वायरस” एक सॉफ्टवेयर है जिसे जानबूझकर बनाया जाता है ताकि कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाया जा सके।

बग हटाने के लिए ई-वॉलेट से क्रिप्टो करेंसी के जरिए रकम की मांग करते थे। रकम ट्रांसफर होते ही लोगों के सिस्टम को एंटी वायरस की मदद से क्लियर कर देते थे। जब सिस्टम में भेजी गई जानकारी हट जाती थी, तब ठगी के शिकार व्यक्ति के मोबाइल नंबर को ब्लॉक कर देते थे।

गिरोह का मुख्य आरोपी अर्जुन शर्मा ठगी के शिकार व्यक्ति को डॉलर में पेमेंट करने ई-वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से पेमेंट लेता था। जिसके लिए भी टेलीग्राम एप का इस्तेमाल किया जाता था।मास्टरमाइंड अर्जुन ठगी से प्राप्त रकम का 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा कमीशन के रूप में रख लेता था। वहीं, कॉल सेंटर में काम करने वाले साथियों को 25 हजार से 30 हजार रुपए सैलरी देता था।

सभी आरोपी अलग-अलग राज्यों जैसे मेघालय, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के रहने वाले हैं। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। इस गिरोह ने अब तक कितने लोगों को ठगा है, इसकी जांच चल रही है।

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