रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए उनके ऊपर वर्षों से लंबित टैक्स देनदारियों को समाप्त करने का फैसला किया है। 10 साल से अधिक पुराने और 25 हजार रुपये तक के वैट बकाया अब माफ किए जाएंगे। इससे राज्य के 40 हजार से अधिक व्यापारियों को लाभ होगा और 62 हजार से ज्यादा कोर्ट केस में कमी आएगी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक 2025 और बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति निपटान संशोधन विधेयक 2025 के प्रारूप को मंजूरी दी गई। दोनों विधेयकों को आगामी मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक के प्रारूप में जीएसटी परिषद की 55 वीं बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुरूप संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। प्रस्ताव के अनुसार इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा आइजीएसटी में लिए गए आरसीएम का वितरण भी अब अपने ब्रांच आफिस में किया जा सकेगा। इससे जीएसटी अधिनियम में विसंगति को दूर करने में मदद मिलेगी और व्यापारियों को इज आफ डूइंग बिजनेस के तहत कारोबार करने में आसानी होगी।
एक अन्य संशोधन प्रस्ताव अनुसार, ऐसे पेनाल्टी की राशि जिनमें टैक्स की डिमांड सम्मिलित नहीं होती है, उन प्रकरणों में अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक पूर्व डिपाजिट 20 प्रतिशत राशि को घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है। यह निर्णय व्यापार जगत को सहूलियत देने वाला साबित होगा।
डिमेरिट गुड्स जैसे तंबाकू उत्पाद के लिए ट्रेस एंड ट्रैक मैकेनिज्म लागू किया गया है। इसके द्वारा इन उत्पादों के निर्माण से अंतिम उपभोक्ता तक विक्रय की समूची सप्लाई चेन की कारगर निगरानी की जा सकेगी। विशेष आर्थिक क्षेत्रों के वेयरहाउस में रखे गए वस्तुओं, जिनके फिजिकल मूवमेंट के बिना कई बार क्रय-विक्रय संव्यवहार किया जाता है, ऐसे मामलों में ऐसे संव्यवहारों को जीएसटी की परिधि से बाहर रखने के लिए संशोधन लाया गया है।