छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16 हजार से अधिक कर्मचारी पिछले पखवाड़े से अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। इनमें नियमितीकरण, संविलियन, ग्रेड पे, और 27 प्रतिशत लंबित वेतन वृद्धि जैसी प्रमुख मांगें शामिल हैं।
आंदोलन के चलते प्रदेशभर में धरना, प्रदर्शन और रैलियों का दौर जारी है। इसी बीच भाजपा सांसद विजय बघेल ने कर्मचारियों की मांगों को जायज बताते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा करेंगे।
भाजपा सांसद के इस बयान के बाद राजनीति भी गर्माने लगी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र में इन मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन अब भूल गई है। त्योहार के समय हजारों कर्मचारी, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं, अपने घरों से दूर धरनों पर बैठे हैं। यह स्थिति किसी अभिशाप से कम नहीं है।
कोण्डागांव समेत कई जिलों में NHM कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को और तेज कर दिया है। शनिवार शाम को जिले की इकाई ने मशाल रैली और कैंडल मार्च निकाला। रैली डीएनके मैदान से शुरू होकर सामुदायिक भवन, कांग्रेस भवन होते हुए अम्बेडकर चौक पर संपन्न हुई। इस दौरान कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की और सरकार से जल्द से जल्द मांगों पर ठोस कदम उठाने की अपील की।
संघ के जिलाध्यक्ष कृष्णा पटेल ने कहा कि लंबे समय से नियमितीकरण और वेतनमान जैसी मांगों को लेकर आवाज उठाई जा रही है, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
अनिश्चितकालीन हड़ताल का सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखने लगा है। खासकर ग्रामीण अंचलों में मरीजों को इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि मजबूरी में आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा।
कुल मिलाकर, NHM कर्मचारियों के आंदोलन ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की रफ्तार धीमी कर दी है, बल्कि अब यह मुद्दा सियासी रंग भी ले चुका है। भाजपा सांसद के समर्थन और कांग्रेस के आरोपों के बीच, कर्मचारियों की निगाहें अब सरकार की अगली चाल पर टिकी हैं।

