अंबिकापुर -छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में एक बुजुर्ग दंपति के शादी की सालगिरह अनोखे तरीके से मनाई गई है। इस अनूठी वैवाहिक वर्षगांठ ने सभी का दिल जीत लिया..है..। बुजुर्ग दंपत्ति ने अपनी 65 वीं शादी की सालगिरह उसी अंदाज में मनाई जैसे पहली बार इनकी शादी हो रही हो। इस पूरे आयोजन की तैयार परिवार के सदस्यों ने भी की। पारंपरिक अंदाज़ में मनाई गई यह सालगिरह पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है..
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के सोमवार को एक ऐसा अनोखा और भावनाओं से भरा आयोजन देखने को मिला, जिसने सभी को भाव विभोर कर दिया।इस वर्षगांठ समारोह की खास बात ये थी कि दंपत्ति ने हाथों में लाठी लेकर एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। शहर में ये दृश्य देखकर हर कोई हैरान और भावुक हो गया। कार्यक्रम की शुरुआत हल्दी रस्म से हुई, जिसमें परिवारजनों और रिश्तेदारों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके अगले दिन बारात निकाली गई, जिसमें ढोल-नगाड़े की धुन पर रिश्तेदार और स्थानीय लोग जमकर नाचे। दूल्हा बने बलदेव प्रसाद सोनी ने पारंपरिक पोशाक पहनकर सबका दिल जीत लिया, वहीं दुल्हन बनीं बेचनी देवी मुस्कुराते हुए फिर से सात फेरे लेने की यादें ताजा कर रही थीं। इस पूरी रस्म में ख़ुशी का माहौल छाया रहा।
दोनों के चेहरों पर एक अजीब मुस्कान और आंखों में प्यार दिखाई दिया।परिवार के सदस्यों ने इस मौके पर बारात निकालकर जमकर जश्न मनाया। बैंड-बाजे के साथ बुजुर्ग जोड़े की बारात निकली तो मोहल्ले में उत्सव जैसा माहौल बन गया। आस-पड़ोस के लोग पहले तो समझ ही नहीं पाए की आखिर क्या हो रहा है बाद उन्हें पता चला तो वह भी खुशी के इस माहौल में शामिल हुए। बलदेव प्रसाद सोनी ब्रम्हरोड के रहने वाले है।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि ये आयोजन नई पीढ़ी को संस्कार और रिश्तों की अहमियत से परिचित कराने के उद्देश्य से किया गया। बलदेव और बेचनी के चार बच्चे हैं दो बेटे दिनेश और विनोद और दो बेटियां मंजू और अंजू। बच्चों ने मिलकर अपने माता-पिता के लिए इस अनोखे और यादगार आयोजन का आयोजन किया। बहुओं बसंती और उर्मिला और दामाद शिवशंकर और अशोक ने भी पूरे आयोजन में सहयोग किया। पूरे समारोह में सभी पारंपरिक रस्मों का पालन किया गया और इसे एक भव्य होटल कार्यक्रम के रूप में संपन्न किया गया।
वाईसस्थानीय लोगों ने इस आयोजन की सराहना की और इसे केवल शादी नहीं, बल्कि “समर्पण और प्रेम की मिसाल” कहा गया। आम तौर पर ऐसा दुर्लभ अवसर होता है जब कोई अपने परपोते के साथ इतना लंबा और स्वस्थ जीवन जी सके। बलदेव और बेचनी वर्तमान में पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने 18 वर्षीय परपोते तनिष्क के साथ जीवन का आनंद ले रहे हैं। कार्यक्रम का एक और अनोखा दृश्य ये था कि तनिष्क सारथी बनकर अपने परदादा-दादी को बारात में लेकर पहुँचा, जिससे ये आयोजन और भी यादगार बन गया।
बलदेव और बेचनी की ये वर्षगांठ केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि ये समाज को ये संदेश देने वाली मिसाल भी थी कि सच्चा प्रेम और परिवार के प्रति समर्पण उम्र के किसी बंधन से परे होता है। इस कार्यक्रम ने साबित किया कि संबंधों का मूल्य, संस्कार और प्रेम जीवन भर जीवित रह सकते हैं।अबिकापुर से vcn टाइम्सकी रिपोर्ट

