Sunday, October 26, 2025
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छत्तीसगढ़ के चर्चित 17 साल पुराने इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की दोबारा जांच :35 कंपनियों का ‌20 करोड़ का लेनदेन,

छत्तीसगढ़ के चर्चित 17 साल पुराने इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की दोबारा जांच शुरु होते ही परतें खुलने लगी हैं। बैंक के तत्कालीन मैनेजर सिन्हा ने पुलिस जांच में खुलासा किया है कि इस घोटाले में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की 35 कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है। इनमें से रायपुर की एक कंपनी ने शुक्रवार को बैंक में 28 लाख रुपए जमा भी करवा दिए हैं। कुछ कंपनियों ने दस्तावेज इकट्‌ठा करने के लिए समय मांगा है।

सीएम भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले की फिर से जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की सीडी के आधार पर फिर जांच शुरू की गई थी। पूछताछ में उमेश सिन्हा ने 35 कंपनियों के इसमें शामिल होने की बात कही है। इन कंपनियों के नाम से नीरज जैन ने 20 लाख से 2 करोड़ तक का क्रेडिट लिमिट बनाया और उस लिमिट के पैसों से सभी कंपनियों के नाम से शेयर खरीदे। वहीं उन कंपनियों ने शेल कंपनियों से भी फर्जी तरीके से शेयर खरीदे। इन कंपनियों से लेनदेन के आधार पर 19 से 20 करोड़ रुपए की जानकारी सामने आई है।

जिन कंपनियों के नाम आए हैं, उनमें शेयर धारक व डायरेक्टर कितने।

2002 से 2007 तक हुई खरीदी – बिक्री की पूरी जानकारी मांगी गई।

2002 से 2007 तक कंपनियों के आयकर की सत्य प्रतिलिपि मंगवाई।

धारा 91 के तहत तीन दिन के भीतर उपस्थित होने का नोटिस भी जारी।

संबंधित कंपनियों के पास क्या एक से डेढ़ करोड़ रुपए तक के शेयर।

26 अगस्त को सुनवाई

इस मामले में 12 अभियुक्तों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन अधिकांश उपस्थित नहीं हुए। दोबारा नोटिस जारी किए जाने पर तीन उमेश सिन्हा, मीना आदिल आैर नीरज जैन उपस्थित हुए। नीरज से सिटी कोतवाली रायपुर में सीडी के संबंध में पूछताछ की जा रही है।

शुक्रवार को नर्मदा इंफोटेक एंड विद्युत नाम की कंपनी ने 28 लाख 50 हजार रुपए इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक के खाते में जमा करा दिए हैं। इस कंपनी ने रे एंड रे इंफोटेक कंपनी के नाम से यह राशि जमा कराई है। उम्मीद की जा रही है कि कुछ और कंपनियां इंदिरा बैंक के खाते में जल्द ही निश्चित रकम जमा करवा सकती है।

तत्कालीन मैनेजर के नार्को टेस्ट की सीडी के आधार पर दोबारा जांच, इसी में उजागर हुए ​थे कई नाम

दरअसल छत्तीसगढ़ में 17 साल पहले 2006 में इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक का घोटाला उजागर हुआ था। घोटाला उजागर होने के बाद बैंक के मैनेजर उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट, पालीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग किया गया था। जिसमें कई सफेदपोश लोगों के नाम सामने आए थे। लगभग डेढ़ घंटे की जांच सीडी में कई ऐसे नाम भी शामिल थे जिनका नाम आज तक उजागर नहीं किया गया था।

इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में दोबारा जांच करते हुए पुलिस की ओर से 35 कंपनियों काे नोटिस जारी किया गया। एक कंपनी ने 28.50 लाख रुपए जमा करवाए हैं। इससे बैंक के उन निवेशकों में पैसे वापस मिलने की उम्मीद जागी है, जिनकी रकम बैंक बंद होने से डूब चुकी है।

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