इसके पहले छठ महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर घरों की साफ-सफाई में जुट गईं। स्नान कर महिलाओं ने मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में गन्ने के रस की खीर का प्रसाद बनाया। खरना के बाद व्रती महिलाएं बृहस्पतिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में जुट गई। 8 नवंबर शुक्रवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होगा।
छठ पर्व पूर्वोत्तर भारत के महापर्वों में से एक है और अब इसे देश और दुनिया भर में भी संपूर्ण आस्था और प्रेम के साथ मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भगवान भास्कर के साथ साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है. इन चार दिनों में नहाय खाय खरना, संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य का त्योहार मनाया जाता है. इस पर्व को मनाने वाले वाले श्रद्धालू कठिन व्रत के जरिए छठी मैया और भगवान सूर्य पूजा करके संतान प्राप्ति, संतान की कुशलता, परिवार की सुख समृद्धि और लंबी आयु की मनोकामना मांगते हैं. इस बार छठ पर्व