छत्तीसगढ़ में सामने आए महादेव सट्टा मामले में मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले बिजनेसमैन सुनील दम्मानी को पुलिस ने गिरफ्तार कर उसे जेल भेजा था उसके बाद वह लगातार जेल में है । उन्होंने, सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है। उनकी जमानत याचिका पर तीन अक्टूबर को सुनवाई करने के लिए सहमति जताई।
- छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा ऐप से हुआ था करोड़ों का घोटाला
- प्रदेश के कई नामी राजनेताओं से बिजनेसमैन के नाम शामिल
- बिजनेसमैन सुनील दम्मानी ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई जमानत याचिका
रायपुरः छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा एक के माध्यम से करोड़ों रुपए का घोटाला हुथा। इस मामले में कई लोगों को पकड़ा गया था। इसी में से एक बिजनेसमैन सुनील दम्मानी है। महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छत्तीसगढ़ के कारोबारी सुनील दम्मानी को गिरफ्तार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर तीन अक्टूबर को सुनवाई करने के लिए मंगलवार को सहमति जताई।
मुख्य जज (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से जेल में बंद कारोबारी के वकील ने आग्रह किया कि जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। दम्मानी के वकील ने दलील दी कि उनका मुवक्किल 13 माह से अधिक समय से जेल में बंद है। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि ऐसे मामले जो किसी निश्चित दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं। हम आम तौर पर उससे पहले या बाद में सुनवाई नहीं करते। लेकिन, यह एक जमानत याचिका है… हम इस पर गुरुवार को सुनवाई करेंगे।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन हुए थे अरेस्ट
आपको बता दें कि पिछले साल 23 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित संलिप्तता के लिए दम्मानी और तीन अन्य को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा सहित 10 लोगों के ठिकानों पर भी तलाशी ली थी।
ये लोग हुए थे गिरफ्तार
सुनील दम्मानी के अलावा, उनके भाई अनिल दम्मानी, छत्तीसगढ़ पुलिस के एएसआई चंद्र भूषण वर्मा और रायपुर निवासी सतीश चंद्राकर को भी मामले में गिरफ्तार किया गया था। ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला दुर्ग जिले के मोहन नगर पुलिस थाने में सट्टेबाजी ऐप ‘महादेव’ के खिलाफ 2022 में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है।
हवाला के पैसे लेनदेन में है आरोपी
ईडी के अनुसार दम्मानी बंधुओं की जूलरी की एक दुकान और एक पेट्रोल पंप है और कथित तौर पर हवाला लेन-देन में उनकी भूमिका है। वहीं, एएसआई वर्मा ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों को पुलिस कार्रवाई से बचाने के लिए उनसे रिश्वत ली। इसके साथ यह भी अंदेशा है कि वर्मा ने अन्य पुलिस अधिकारियों को भी रिश्वत की राशि दी।