Friday, August 15, 2025
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Chhattisgarh: तिल्दा के बिलाडी में अनोखी शादी देखकर सब हैरान। बैलगाड़ी से निकली बारात… देशी अंदाज में झूमे बाराती,,

तिल्दा नेवरा =शादियों में आपने कई तस्वीरें देखी होगी.. जिसमें दूल्हा-दुल्हन. अलग-अलग तरीके से शादी रचते हैं.. जिसमें कोई हेलीकॉप्टर से .कोई लग्जरी गाड़ी से अपनी बारात निकालता है ..मगर आज हम आपको जो तस्वीर दिख रहे हैं इसमें दूल्हे को बैलगाड़ी में बिठाकर बारात निकाली गई है.. यह तस्वीर तिल्दा के बिलाडी गांव की है जहां यादव परिवार का दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हनिया के घर बारात लेकर जा रहा है। देशी अंदाज में निकली इस भारत की लोगों ने भी जमकर सराहना की है, वही दूल्हा बने दुजराम यादव बहुत खुश दिखाई दिए..

,गाड़ियों की चकाचौध के बीच  एक ऐसी बारात निकली जिसको देखने के लिए लोग घरों से बाहर निकल आए। लग्जरी गाड़ियों के बजाये बारात बैलगाड़ी से दुल्हन के घर पहुंची। बैलगाड़ी से बारात तिल्दा के बिलाडी गाव से तिल्दा क्षेत्र के नेवरा तुलसी गांव के निकली..बारात में शादी का सेहरा पहने .दुजराम यादव अपनी दुल्हनिया को लेने बैल गाड़ी से निकले थे ।

खनखन करते बैल के घुंघरू की आवाज सुन हर कोई अपने घरों से निकलकर बारात देखने लगे। बारात देखने के लिए ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटी थी। दरअसल, छत्तीसगढ़ी परंपरा को निभाते दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हनियां को लेने के लिए निकला। आज के आधुनिक जमाने में देसी अंदाज की बारात, बैलगाड़ी पर सवार दूल्हे को लोग देखते रह गए।…अपनी दुल्हनियां को लेने के लिए बैलगाड़ी पर सवार होकर जब दूल्हा निकला तो हर कोई उसे निहारने लगा। आभूषण के साथ नए सूट बूट, कमीज और पारंपरिक वेशभूषा में सजे दूल्हे ने कहा कि उसने अपनी परंपरा निभाई है। देसी अंदाज में निकली इस बारात की लोगों ने जमकर सराहना की गई।
बारात दोपहर एक बजे बिलाडी से निकली और शाम चार बजे नेवरा तुलसी पहुंची। इस दौरान रास्ते से गुजर रही बारात को लोग अपने दरवाजे, खिड़की और छतों पर खड़े होकर देखते रहे। साथ ही लोगों की फोटो और सेल्फी लेने की होड़ लग गई।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सुरक्षित करने का प्रयास किया मॉर्डन जमाने में देसी अंदाज की बारात को देखकर बुजुर्गों ने पुराने समय को याद किया। इस प्राचीन परंपरा को देख कर लोग बहुत खुश नजर आ रहे थे। बेहद सादगी भरी इस परंपरा को खर्चीली शादियों से बचने के लिए एक मिसाल के तौर पर जानी जाएगी। छत्तीसगढ़ी संस्कृति को संरक्षित रखने दुजराम यादव का यह प्रयास आने वाली पीढ़ी को सामाजिक दिशा की ओर रुख करने का बेहतर तरीका है। आज हमारे कई विभिन्न प्रकार के परंपराएं विलुप्त होने के कगार पर है। उन्हें सुरक्षित करना बहुत जरूरी है। उन्हें गर्व है कि आज के युवा पीढ़ी के लोग अपने संस्कृति और परंपराओं को न भूलते हुए उन्हें संरक्षित रखने के साथ आने वाली पीढ़ी को प्रेरित भी कर रहे हैं

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