कोरबा:मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक और हमर लैब के लिए लंबे समय बाद मशीन की सप्लाई हुई. वह भी लापरवाही की भेट चढ़ गई. 4 साल पहले से ही मेडिकल कॉलेज में 2 करोड़ के ब्लड कंपोनेंट मशीन को शुरू करने के लिए ब्लड सेपरेटर मशीन का इंतजार हो रहा था. मशीन की मदद से ब्लड के कंपोनेंटस को अलग अलग किया जाता है. इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी हर तरह के टेस्ट को पूरा करने के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के परिसर में हमर लैब की स्थापना की जा रही है. इनके लिए भारी भरकम लागत से अलग अलग मशीनों का सप्लाई हुई. पर जो मशीनें सप्लाई हुई वो भी टूटी फूटी हालत में. अब स्वास्थ्य विभाग इन मशीनों को वापस करने की बात कह रहा है. सीएमएचओ का कहना है कि अभी संबंधित कंपनी को पूरा भुगतान नहीं किया गया है. इसलिए मशीनों को वापस किया जाएगा.
दरअसल 4 साल पहले अब के मेडिकल कॉलेज अस्पताल और तत्कालीन जिला अस्पताल में 2 करोड़ की लागत से ब्लड कंपोनेंट मशीन की सप्लाई की गई थी. लेकिन इस मशीन को शुरू करने के लिए ब्लड सेपरेटर मशीन की जरुरत होती है, जिसकी सप्लाई तब नहीं हो सकती थी. अब 4 साल बाद इस मशीन के सप्लाई हुई है. इस मशीन को इंस्टॉल करने के बाद ब्लड बैंक में जो खून लिया जाता है. उससे ब्लड के अलग अलग कंपोनेंटस जैसे प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, आरबीसी और अन्य को अलग अलग किया जा सकता है. ब्लड सेपरेटर मशीन की सप्लाई तो की गई. लेकिन वह गुणवत्ताहीन है, टूटी फूटी और दोयम दर्जे के होने के कारण इसे उपयोग में नहीं लिया जा सकता है. मंगाई गई मशीन की हालत देखकर स्वास्थ्य विभाग के हाथ पैर फूल गए. विभाग इनकी वापसी की तैयारी में जुट गया है. कुछ मशीनों को वापस भी किया गया है. हमर लैब के लिए जो मशीन दी गई वह भी गुणवत्ताहीन है. जानकारी के अनुसार ब्लड सेपरेटर मशीन के अलावा खनिज न्यास मद से हमर लैब के लिए कुल 4 करोड़ 35 लाख के विभिन्न मशीनों की खरीदी हुई. इनमें से कई मशीनें गुणवत्ताहीन पाई गई. कुछ टूटी फूटी हालत में हैं. जिसे इंस्टॉल नहीं किया जा सकता.
हमर लैब स्थापित करने का मकसद:शासन द्वारा आम लोगों को प्राइवेट पैथोलॉजी लैब से छुटकारा दिलाने के लिए एक ऐसा सरकारी लैब स्थापित किया जा रहा है. जिसमें सभी तरह के टेस्ट होंगे और जरूरतमंद मरीजों को जांच के लिए प्राइवेट लैब का सहारा नहीं लेना पड़ेगा. उन्हें हमर लैब से नि:शुल्क जांच की सुविधा मिलेगी. लेकिन अब इस लैब के लिए जो जरूरी मशीनो की सप्लाई की गई है, वह गुणवत्ताहीन और टूटी फूटी मिली है.
इस विषय में रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष रामसिंह अग्रवाल ने प्रशासन को पत्र लिखा है. जिसमें मांग की गई है कि जिन मशीनों की सप्लाई स्वास्थ्य विभाग को की गई है उनकी खरीदी सवालों के घेरे में है. इसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय सत्यापन समिति का गठन किया जाना चाहिए. इस समिति का गठन कलेक्टर की ओर से किया जाए, विशेषज्ञों को भी समिति में शामिल किया जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि मशीन गुणवत्ता के पैमाने पर खरी उतरती है या फिर नहीं. यदि खरीदी में कोई गड़बड़ी हुई है तो दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
इस विषय में कोरबा के सीएमएचओ डॉ एसएन केसरी का कहना है कि डीएमएफ से मेडिकल कॉलेज के ब्लूड बैंक और खासतौर पर लैब के मशीनों के लिए डीएमएफ से पैसे सैंक्शन हुए थे. जिसके तहत मशीनों की खरीदी हुई थी. प्रक्रिया यह है कि टेंडर निकलेगा, सामान आएगा, मेडिकल कॉलेज द्वारा इसकी जांच की जाएगी. जब संतुष्टि हो जाएगी कि यह सही है. तब एक संतुष्टि प्रमाण पत्र मिलेगा और तब इसका पेमेंट किया जाएगा. ब्लड सेपरेटर मशीन की एक पार्ट खराब थी. उसे मंगाई गई थी. यही मशीन बिगड़ी हुई मिली है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में जो हमर लैब में मशीन इंस्टॉल किया जाना है. उसके लिए भी अलग-अलग मशीन की खरीदी हुई थी. जिनकी अलग-अलग कीमत है. जिस मशीन को वापस किया जाना है. उसकी कीमत लगभग 40 लाख रुपए है.
संतुष्टि प्रमाण पत्र मिलेगा: वर्तमान में करीब 28, 32 मशीन आ चुकी है. इनका वेरिफिकेशन चल रहा है. जब संतुष्टि प्रमाण पत्र मिलेगा, सब ठीक होगा तभी इसके बाद इसका पेमेंट किया जाएगा. कुछ हेवी मशीनें थी, उसे उतारते समय वह डैमेज हो गई है. इसलिए उस मशीन को वापस भेजा गया है. कुछ और मशीनों को भी वापस किया जाएगा. जब इन मशीनों का सत्यापन हो जाएगा तभी भुगतान होगा. यह सभी मशीन जब आ जाएंगे, तभी हमर लैब की शुरुआत होगी.

