प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 112वें एपिसोड में इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड जीतने वाले स्टूडेंट्स से बात की. उन्होंने ओलंपियाड जीतने वाले स्टूडेंट्स को शुभकामनाएं दी. साथ ही पीएम ने मैथ्स से दोस्ती करने की ट्रिक भी पूछी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड विजेताओं से बात की. इस दौरान पीएम ने उनसे मैथ्स में रुचि जगाने से लेकर तमाम सवाल पूछे. भारत की छह सदस्यीय टीम ने 11 जुलाई से 22 जुलाई तक यूनाइटेड किंगडम के बाथ में आयोजित अंतरराष्ट्ररीय गणित ओलंपियाड में चार स्वर्ण और एक रजत पदक जीतकर शानदार सफलता हासिल की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने ओलंपियाड टीम को बधाई देते हुए इस कामयाबी को बेहद खुशी और गर्व की बात बताया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले मैथ्स की दुनिया में एक ओलंपिक हुआ. इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड. इसमें भारत के छात्रों ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया. इसमें हमारी टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीता है. इंटरनेशनल ओलंपियाड में 100 से अधिक देशों के युवा हिस्सा लेते हैं. ओवरऑल टैली में हमारी टीम टॉप 5 में आने में सफल रही. देश का नाम रोशन करने वाले इन स्टूडेंट्स के नाम हैं -पुणे के रहने वाले आदित्य वेंकट गणेश, पुणे के ही सिद्धार्थ चोपरा, दिल्ली के अर्जुन गुप्ता, ग्रेटर नोएडा के कनव तलवार, मुंबई के रुशील माथुर और गुवाहाटी के आनंदो भादुरी.
साथियो, आज ‘मन की बात’ में मैंने इन युवा विजेताओं को विशेष तौर पर आमंत्रित किया है. ये सभी इस समय फोन पर हमारे साथ जुड़े हुए हैं.
प्रधानमंत्री- नमस्ते साथियो. ‘मन की बात’ में आप सभी साथियों का बहुत बहुत स्वागत है. आप सभी कैसे हैं?
स्टूडेंट्स – हम ठीक हैं सर.
प्रधानमंत्री- अच्छा साथियों, ‘मन की बात’ के जरिए देशवासी आप सभी के अनुभव जानने को बहुत उत्सुक हैं. मैं शुरुआत करता हूँ आदित्य और सिद्धार्थ से. आप लोग पुणे में हैं, सबसे पहले मैं आप से ही शुरू करता हूँ. ओलंपियाड के दौरान आपने जो अनुभव किया उसे हम सभी के साथ शेयर कीजिए .
आदित्य- मुझे मैथ्स में छोटे से इंट्रेस्ट था. मुझे छठवें स्टैंडर्ड की मैथ ओमप्रकाश सर, मेरे टीचर ने सिखाया था. उन्होंने मैथ में मेरा इंट्रेस्ट बढ़ाया था.
प्रधानमंत्री- आपके साथी का क्या कहना है?
सिद्धार्थ- सर, मैं सिद्धार्थ हूं, मैं पुणे से हूं. मैं अभी 12वीं पास किया हूं. इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड में यह मेरा दूसरी बार था. IMO में मुझे भी छोटे से ही बहुत इंट्रेस्ट था. आदित्य के साथ जब मैं 6वीं में था, ओमप्रकाश सर ने हम दोनों को ट्रेन किया था. अभी मैं कालेज के लिए सीएमआई जा रहा हूं. मैथ्स और कंप्यूटर साइंस की स्टडी कर रहा हूं.
प्रधानमंत्री- अच्छा मुझे बताया गया है कि अर्जुन इस समय गांधीनगर में हैं और कनव तो ग्रेटर नोएडा के ही हैं. अर्जुन और कनव, हमने ओलंपियाड को लेकर जो चर्चा की, लेकिन आप दोनों हमें अपनी तैयारी से जुड़ा कोई विषय, और कोई विशेष अनुभव, अगर बताएंगे तो, हमारे श्रोताओं को अच्छा लगेगा.
अर्जुन- नमस्ते सर, जय हिन्द, मैं अर्जुन बोल रहा हूं.
प्रधानमंत्री- जय हिन्द अर्जुन.
अर्जुन- मैं दिल्ली में रहता हूं और मेरी मां श्रीमती आशा गुप्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी में फिजिक्स की प्रोफेसर हैं. मेरे पिता श्री अमित गुप्ता सीए हैं. मैं भी बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मैं अपने देश के प्रधानमंत्री से बात कर रहा हूं. सबसे पहले मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देना चाहूंगा. मुझे लगता है कि , जब एक परिवार में कोई सदस्य एक ऐसे कॉम्पिटीशन की तैयारी कर रहा होता है तो, केवल उस सदस्य का संघर्ष नहीं होता, बल्कि पूरे परिवार का संघर्ष होता है. दरअसल, हमारे पास जो पेपर होते हैं, उसमें हमारे पास तीन प्रॉबलम के लिए साढ़े चार घंटे होते हैं. इस तरह एक प्रॉबलम सॉल्व करने के लिए डेढ़ घंटे का वक्त. तो हमें, घर पर काफी मेहनत करनी पड़ती है. हमें प्रॉबलम्स के साथ घंटों लगाने पड़ते हैं. कभी-कभार तो एक एक प्रॉबलम के साथ एक दिन या यहां तक कि 3 दिन भी लग जाते हैं. तो इसके लिए हमें ऑनलाइन प्रॉबलम सर्च करनी पड़ती हैं. हम पिछले साल की प्रॉबलम ट्राई करते हैं. ऐसे ही धीरे-धीरे मेहनत करते जाते हैं, उससे हमारा अनुभव बढ़ता है. हमारी सब से जरूरी चीज, हमारी प्रॉबलम सॉल्विंग एबिलिटी बढ़ती है. जो हमें मैथमेटिक्स में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर एक क्षेत्र में मदद करती है.
प्रधानमंत्री- अच्छा मुझे कनव बता सकते हैं कि कोई विशेष अनुभव हो, इस तैयारी में कोई खास जो हमारे नौजवान साथियों को अच्छा लगे जानकर.
कनव तलवार- मेरा नाम कनव तलवार है, मैं ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश में रहता हूं. कक्षा 11वीं का छात्र हूं. मैथ्स मेरा पसंदीदा सब्जेक्ट है. बचपन में मेरे पिता मुझसे पजल सॉल्व कराते थे. जिससे मेरा इंट्रेस्ट बढ़ता गया. मैंने ओलंपियाड की तैयारी सातवीं क्लास में शुरू की थी. इसमें मेरी बहन का बहुत बड़ा योगदान है. मेरे पेरेंट्स ने भी हमेशा सपोर्ट किया.
यह ओलंपियाड HBCSE कंडक्ट कराता है. यह पांच स्टेज का प्रोसेस होता है. पिछले साल मेरा सेलेक्शन टीम में नहीं हुआ था. मैं सेलेक्शन के बहुत करीब था लेकिन न होने पर काफी दुखी था. तब मेरे पेरेंट्स ने मुझे सिखाया कि हम जीतते हैं या हम सीखते हैं. सफर मायने रखता है, सफलता नहीं.
मैं यही कहना चाहता हूं कि – ‘Love what you do and do what you love’. अगर हम अपने सब्जेक्ट से प्यार करें और जर्नी को एंजॉय करें तो सक्सेस मिलती रहेगी.
प्रधानमंत्री- तो कनव आप तो मैथमेटिक्स में इंट्रेस्ट रखते हैं और बोलते हैं ऐसे जैसे आपको साहित्य में भी रुचि है!
कनव तलवार- जी सर ! मैं बचपन में डिबेट्स और ओरेटिंग भी करता था.
प्रधानमंत्री- अच्छा अब आइए हम आनंदों से बात करते हैं. आनंदों, आप अभी गुवाहाटी में हैं और आपके साथी रुशील आप मुंबई में हैं. मेरा आप दोनों से एक सवाल है. देखिये, मैं परीक्षा पे चर्चा तो करता ही रहता हूं और परीक्षा पे चर्चा के अलावा अन्य कार्यक्रमों में भी स्टूडेंट्स से संवाद करता हूं. बहुत से छात्रों को मैथ्स से इतना डर लगता है, नाम सुनते ही घबरा जाते हैं. आप बताइए कि मैथ्स से दोस्ती कैसे की जाए?
रुशील माथुर- सर ! मैं रुशील माथुर हूं. जब हम छोटे होते हैं, और हम पहली बार जोड़ सीखते हैं- हमें सीधे-सीधे समझाया जाता है लेकिन कभी ये बताया जाता कि ऐसा क्यों होता है. जब हम कंपाउंड इंट्रेस्ट पढ़ते हैं, हम ये सवाल कभी नहीं पूछते कि इसका फॉर्मूला आता कहां से है. मेरा मानना ये है कि मैथ्स वास्तव में सोचने और समस्या सॉल्व करने की एक कला है. इसलिए मुझे ये लगता है कि अगर हम सब मैथ्स में में एक नया प्रश्न जोड़ दें- हम ये क्यों कर रहे हैं या ये ऐसा क्यों होता है, तो मैं समझता हूं कि इससे मैथ्स में रुचि काफी बढ़ जाएगी. इसके अलावा मुझे ये भी लगता है, सब सोचते हैं कि मैथ्स लॉजिकल सब्जेक्ट है. इसके अलावा मैथ्स में बहुत क्रिएटिविटी भी जरूरी होती है. क्रिएटिविटी से ही हम आउट ऑफ द बॉक्स सोच पाते हैं. जो ओलंपियाड में बहुत यूजफुल है.
प्रधानमंत्री- आनंदो कुछ कहना चाहेंगे?
आनंदो भादुरी- नमस्ते पीएम जी ! मैं आनंदो भादुरी गुवाहाटी से. मैं अभी-अभी 12वीं कक्षा पास किया हूं. यहां के लोकल ओलंपियाड मैं छठवीं और सातवीं में करता था. वहां से रुचि जागी. यह मेरा दूसरा IMO था. दोनों IMO बहुत अच्छे लगे. मैं रुशील से सहमत हूं. ये भी कहना चाहूंगा कि जिन्हें मैथ्स से डर है, उन्हें धैर्य की बहुत जरूरत है. क्योंकि हमें मैथ्स पढ़ाते समय एक फॉर्मूला देकर उसे रटा दिया जाता है. लेकिन फॉर्मूला समझ में आया या नहीं, यह नहीं देखा जाता. रटा हुआ फॉर्मूला एग्जाम में भूल गया तो क्या करेंगे? इसलिए कहूँगा कि फॉर्मूला को रटने की बजाए समझो. फिर धैर्य से देखो. अगर फॉर्मूला ठीक से समझ लिए तो 100 सवाल नहीं करने पड़ेंगे.
प्रधानमंत्री- आदित्य और सिद्धार्थ, आप जब शुरू में बात कर रहे थे तब ठीक से बात हो नहीं पाई, अब इन सारे साथियों को सुनने के बाद आपको भी जरूर लगता है कि आप भी कुछ कहना चाहते होंगे. क्या आप अपने अनुभव अच्छे ढंग से शेयर कर सकते हैं?
सिद्धार्थ- बहुत सारे दूसरे देश के लोगों से इंटरेक्ट किया था. बहुत सारे कल्चर के लोग थे. दूसरे स्टूडेंट्स इंटरेक्ट और कनेक्ट करना बहुत अच्छा था. बहुत सारे फेमस मैथमेटिशियन भी थे.
प्रधानमंत्री जी- हां आदित्य
आदित्य- बहुत अच्छा अनुभव था. उन्होंने बाथ सिटी घुमाया. बहुत अच्छे-अच्छे व्यू दिखे थे. पार्क ले गए थे. हमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी लेकर गए थे. बहुत अच्छा अनुभव था.
प्रधानमंत्री जी- चलिए साथियों, मुझे बहुत अच्छा लगा, आप लोगों से बात करके, और मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं क्योंकि, मैं जानता हूँ इस प्रकार के खेल के लिए काफी फोकस करना पड़ता है. दिमाग खपा देना पड़ता है. परिवार के लोग भी कभी-कभी तंग आते हैं – ये क्या गुणा-भाग, गुणा-भाग करता रहता है. लेकिन मेरी तरफ से आप को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं. आपने देश का मान बढ़ाया, नाम बढ़ाया है. धन्यवाद दोस्तों.
स्टूडेंट्स- Thank You, धन्यवाद.
प्रधानमंत्री जी- Thank You!
स्टूडेंट्स- Thank You Sir, जय हिन्द.
प्रधानमंत्री- जय हिन्द – जय हिन्द.
आप सभी स्टूडेंट्स से बात करके आनंद आ गया. ‘मन की बात’ से जुड़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद. मुझे विश्वास है कि मैथ्स के इन युवा महारथियों को सुनने के बाद दूसरे युवाओं को मैथ्स को एंजॉय करने की प्रेरणा मिलेगी.