इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है, उसकी मृत्यु होनी तय है. यह जीवन का सबसे बड़ा अटल सत्य है और इस सत्य से कोई नहीं बच सका है. हिंदू पुराणों में अंतिम संस्कार को लेकर कई सारी बातें लिखी गई है. उन्हीं में से एक सबसे बड़ी बात यह है कि सूर्यास्त के बाद और मध्य रात्रि से पहले अंधेरे में ना तो शवयात्रा निकाली जाती है और ना ही मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हिंदू पुराण के इस नियम के बिल्कुल विपरीत जाकर किन्नर अपनी शव यात्रा रात में ही निकलते हैं और रात के अंधेरे में ही शव का अंतिम संस्कार भी करते हैं. ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर किन्नर ऐसा क्यों करते हैं.
बड़ी रोचक होती है किन्नरों की जिंदगी
दरअसल, पैदा होने के बाद से लेकर मृत्यु काल तक किन्नरों का जीवन बड़ा रोचक होता है. किसी के घर में अगर बच्चा पैदा होता है तो किन्नरों का आशीर्वाद दिलाया जाता है. कहा जाता है कि किन्नरों के आशीर्वाद से बच्चे का भविष्य बेहतर होता है. ऐसे में किन्नरों के जीवन से जुड़े रहस्य ज्यादातर लोगों के सामने नहीं आ पाया है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि किन्नर की मौत के बाद उनके साथ के लोग खुशियां मनाते हैं, कपड़े बांटते हैं, नाचते-गाते हैं और रात के अंधेरे में उनके शव का अंतिम संस्कार भी कर देते हैं.
जानिए क्या है इसके पीछे की का असली कारण
बताते हैं कि इसके पीछे एक बड़ा ही रोचक कारण छिपा है. उन्होंने कहा कि किन्नर अपना पूरा जीवन समाज के लिए न्योछावर कर देते हैं और अपनी मौत के बाद भी वह समाज की चिंता करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि किन्नरों का यह मानना होता है कि किन्नर के रूप में जन्म लेना उनके जीवन का सबसे बड़ा श्राप है और यह जीवन उनके लिए एक नरक के समान होता है.
किन्नर की शवयात्रा देखना माना जाता है अशुभ

