रायपुर-कांग्रेस मेडिकल सेल के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता का कहना है कि, छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई छात्रों का प्रवेश नियम विरुद्ध हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
इसके साथ ही प्राइवेट मेडिकल कालेज में NRI कोटे के तहत हो रही काउंसिलिंग प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार NRI कोटे में एडमिशन देने की मांग की गई है।
NRI के दूर के रिश्तेदारों को आरक्षण देना धोखाधड़ी
डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए अप्रवासी भारतीयों (NRI) के दूर के रिश्तेदारों को आरक्षण देने को धोखाधड़ी है। दरअसल, पंजाब सरकार ने 20 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए NRI के 15% कोटे के दायरे को बढ़ाकर विदेश में बसे दूर के रिश्तेदारों जैसे मामा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, दादा-दादी बुआ, नाना-नानी को भी शामिल कर लिया था।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी थी। इसके खिलाफ पंजाब सरकार शीर्ष कोर्ट का रुख किया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट दूर के NRI रिश्तेदारों को मेडिकल एडमिशन में कोटा देने से मना कर दिया है।
डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्णय 24 सितंबर को आया था। जबकि प्रदेश में 27 सितंबर तक इसी नियम के तहत एडमिशन हो रहे थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नदर अंदाज किया गया है।
वहीं, छत्तीसगढ़ में जिन NRI स्टूडेंट का एडमिशन हो रहा है। वह साल 2018 और 2021 के नियम के आधार पर किए जा रहे हैं। हम छत्तीसगढ़ सरकार से आग्रह करता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार फिर से प्रवासी भारतीयों के कोटा में एडमिशन से निश्चित करें।
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ ने कहा कि, अगर एडमिशन के लिए पात्र NRI स्टूडेंट नहीं मिल रहे हैं, तो NRI कोटा की सीट को ओपन कोटा में लाया जाए। मेरिट में आने वाले स्टूडेंट को पहला मौका दिया जाए।
छत्तीसगढ़ में 5 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के हर एक कॉलेज में NRI कोटा के स्टूडेंट के लिए 22 सीटें आरक्षित है। ऐसे में कुल 110 सीटें अप्रवासी भारतीय के आरक्षित की गई है। दूर के रिश्तेदारों से मिली भगत कर एडमिशन हो रहे हैं, उसमें रोक लगनी चाहिए। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश सर्वोपरि है। उसी के तहत प्रदेश में भी इसकी प्रक्रिया की जानी चाहिए।
डॉ गुप्ता ने कहा कि 15% अप्रवासीय भारतीयों के एडमिशन प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में होते हैं। स्टूडे़ट की ओर से शिकायत मिली है कि NRI सीट में MBBS की फीस सवा करोड़ से डेढ़ करोड़ रुपए है। सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने के बाद 27 सितंबर तक नए आदेश को लागू नहीं करना यह अपने आप में भ्रष्टाचार में संकेत हैं।
NRI कोटा से हो रहे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में जो MBBS में एडमिशन को लेकर एक बड़ा विवाद ना हो, इसके लिए सरकार को जल्द निर्णय और सुप्रीम के आदेश को लागू करना चाहिए।