तिल्दा नेवरा-नेवरा शहर में परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के सानिध्य में पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव के चौथे दिवस में जन्म कल्याण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
जैसे-जैसे पंचकल्याणक महोत्सव आगे बढ़ रहा है वैसे ही महोत्सव की आभा भी बढ़ती जा रही है।जैनाचार्य विद्यासागर महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव के चौथे दिन मुख्य पांडाल में सुबह के वक्त भगवान का अभिषेक, शांतिधारा एवं नित्य पूजन किया गया, जिसके बाद सुबह 7.30 बजे बालक आदिकुमार के जन्म की घोषणा हुई। भगवान आदिनाथ के जन्मोत्सव पर पूरा पांडाल भगवान के जयकारों से गूंज उठा। कई तरह के वाद्ययंत्रों को बजाकर भगवान के जन्मोत्सव की खुशियां मनाई गईं। पांडाल में शामिल हजारो लोग भगवान आदिनाथ के जन्म के साक्षी बने।
इस अवसर पर महाराज ने प्रवचन में कहा कि तीर्थंकर भगवान के जन्म से मानवता को आत्म कल्याण का मार्ग मिला है। यह क्षण अत्यंत प्रसन्नता का है। उन्होंने कहा धन्य है इस नगर लोग जैसे मंदिर की कल्पना की गई थी, उससे भी विशाल व भव्य मंदिर बनाया गया है ।
दोपहर में महाराजा नाभिराय का दरबार सजाया गया। सौधर्म इन्द्र अपनी रानी शची के साथ नाभिराय के दरबार में पहुंचे और भगवान के जन्मोत्सव की बधाई दी। रानी शची माता मरूदेवी के प्रसूति गृह में पहुंचकर बालक तीर्थंकर को लेकर आती हैं। सौधर्म इन्द्र एक हजार नेत्र बनाकर भगवान के दर्शन करते हैं। खुशी से नृत्य करते हैं। कुबेर खुशी से नाचते हुए पूरे पांडाल में अपना खजाना लुटाते हैं। कुबेर ने चांदी के सिक्के बरसाये, पांडाल में यह सिक्के पाने लोग झपट पड़े। ऐसा माना जाता है कि भगवान के जन्मोत्सव पर कुबेर द्वारा लुटाये रत्न तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती। सौधर्म इन्द्र और रानी शची ऐरावत हाथी पर बालक तीर्थंकर को बैठाकर विशाल जुलूस के साथ सुमेरू पर्वत स्थित पांडुक शिला पर पहुंचे, जहां बालक तीर्थंकर को बिठाकर 1008 कलशों से अभिषेक किया गया। भगवान का अभिषेक करने भक्तों की कतार लग गई।
रात्रि भगवान के जन्म से लेकर बाललीला का चित्रण महोत्सव में आए कलाकारों के द्वारा झांकी में प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया।