Sunday, July 6, 2025
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पिता और बेटा काम पर गए थे, पीछे से परिवार सहित 12 लोगों को बहा ले गया सैलाब

शिमला. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर पमंडल के झाकड़ी के बादल फटने के बाद अब समेज गांव का नामोनिशान मिट गया है. मौके के हालात को देखकर ऐसा लगता है कि यहां पर पहले कुछ था ही नहीं. क्योंकि यहां ऐसा कुछ नहीं बचा है, जिसे देखकर कहा जा सके कि यहां पर कोई आबादी बसती थी.

जानकारी के अनुसार, रामपुर के समेज गांव में सबसे अधिक कहर तीन परिवारों पर टूटा है. गोपाल की पत्नी और बेटी के अलावा, उनके घर में रहने वाले कुल 12 लोग सैलाब में बह गए हैं. गोपाल और उनका बेटा काम से बाहर गए थे और इसी कारण बच गए. उनके घर में पावर प्रोजेक्त के सात कर्मचारी भी रहते थे और सभी का कुछ पता नहीं चल पाया है. गोपाल की पत्नी शिक्षा (37) और बेटी जिया (15) का अब तक 40 घंटे बाद भी कुछ पता नहीं चला है. गोपाल अपने बेटे के साथ झाखड़ी काम से गए थे.

इसी तरह, जय सिंह का पूरा परिवार खत्म हो गया है. जय सिंह की सास अब परिवार की तलाश में बेहाल हैं. न्यूज18 से बातचीत में कहती हैं कि उनकी बेटी, उसका बेटी और पुत्री का कुछ पता नहीं चला है. वह काफी काबिल थी. मां की आंखों के आंसू थम नहीं रहे हैं.जय सिंह की पत्नी कल्पना (34), बेटी अक्षिता (7), अद्विक (4) और बेटी आरुषि का कुछ पता नहीं चला है. बता दें कि समेज गांव कुल्लू और शिमला की सीमा में बसता है. समेज गांव शिमला में आता है और इसके सामने कुल्लू की सीमा शुरू होती है.

सतलुज में मिलता है समेज नाला 

रामपुर से कांग्रेस विधायक नंद लाल ने भी मौके का दौरान किया. उन्होंने बताया कि गांव में स्कूल, 25 घर और एक पीएचसी थी. पीएचसी का भवन उन्होंने उद्घाटन किया था. वह बताते हैं कि अब तक 36 लोग लापता हैं और सभी की तलाश प्रशासन कर रहा है. डीसी शिमला अनुपम कश्यप घटना के बाद से ही मौके पर डटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि 85 किमी के दायरे में सर्च ऑपरेशन चल रहा है. सन्नी डैम में भी सर्च की जा रही है, क्योंकि फ्लैश फ्लड वाला नाला सतलुज नदी में आगे मिलता है.

आनी से भाजपा विधायक लोकेंद्र ने बताया कि श्रीखंड की पहाड़ियों पर बादल फटा है और बुजुर्ग बताते हैं कि ऊपर से ही निरमंड और समेज के लिए नाला आता है और इसी कारण इन दोनों स्थानों पर कुल 43 लोग लापता हुए हैं. लोकेंद्र ने बताया कि वह अपनी तरफ से मदद कर रहे हैं.  उधर, मौके पर न्यूज18 से बातचीत में स्थानीय निवासी जगदीश नेगी ने बताया कि उनकी चाची भी लापता हैं. सबसे ऊपर उनकी चाची कृष्णा का मकान था और वह भी सैलाब में बह गई हैं.

जगदीश ने बताया कि केवल दो ही लोग रात को भाग पाए और फिर वे पूरी रात पहाड़ी पर बैठे रहे. वह बताते हैं कि सिक्का सैरी के रहने वाले हैं और गांव का एक शख्स मिसिंग हैं. वह बताते हैं कि सात बच्चियां लापता हैं. गांव के सामने रहने वाले हरदयोल चौहान कहते हैं कि उनका सारा मकान चला गया है. हालांकि, वह कुल्लू जिले में आते हैं. वह बताते हैं कि उनके जानवर भी सैलाब में बह गए हैं. सड़क के साथ तीन मकान, पुल और स्कूल बह गए हैं. मेरे सामने रात को सब कुछ चला गया. उन्होंने बताया कि पत्नी और बहन लापता हैं. उनकी ताई भी सामने ही बह गए. गौरतलब है कि कुछ गांववालों ने बताया कि 30 साल पहले भी यहां पर सैलाब आया था और कुछ नुकसान हुआ था.
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