Monday, July 7, 2025
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ के इन मंत्रों का जाप करना माना जाता है बेहद शुभ, जीवन में आती है खुशहाली

ऐसे कई शिव मंत्र हैं जिनका प्रदोष व्रत के दिन जाप करना बेहद शुभ होता है. कहते हैं ऐसा करने पर भोलेनाथ सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान देते हैं.

तिल्दा नेवरा -पंचांग के अनुसार, हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. प्रदोष व्रत हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) के लिए प्रदोष व्रत रखने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, भक्तों को आरोग्य का वरदान मिलता है और जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं. पंचांग के अनुसार, फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत 21 फरवरी, बुधवार के दिन रखा जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने के चलते इस प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) कहते हैं. जानिए प्रदोष व्रत की पूजा में कौन-कौनसी सामग्री शामिल की जा सकती है और किन मंत्रों का जाप करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.

प्रदोष व्रत के मंत्र 

प्रदोष व्रत के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान किया जाता है. स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव का ध्यान किया जाता है और व्रत का संकल्प लेते हैं. प्रदोष व्रत की असल पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 47 मिनट तक है. प्रदोष व्रत की पूजा में मिठाई, फल, फूल,बेलपत्र, धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत, शमी के पत्ते,भस्म और धतूरा आदि सामग्री को शामिल किया जाता है.निम्न ऐसे कुछ मंत्र (Shiv Mantra)दिए गए हैं जिनका प्रदोष व्रत के दिन जाप करना बेहद शुभ कहा जाता है.

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

श‍िव नामावली मंत्र

।। श्री शिवाय नम:।।

।। श्री शंकराय नम:।।

।। श्री महेश्वराय नम:।।

।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।

।। श्री रुद्राय नम:।।

।। ओम पार्वतीपतये नम:।।

।। ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।

शिव गायत्री मंत्र

ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

शिव आरोग्य मंत्र

माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।

आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।

ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

शिव स्तुति मंत्र

द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।

उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और पंडितो की जानकारियों पर आधारित है.वीसीएन टाइम्स पोर्टल न्यूज़   इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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