लगातार 12 दिन से चल रहे ऑपरेशन सिलक्यारा में आई एक बड़ी अड़चन को जान पर खेलकर दूर करने वाले ट्रंचलेस कंपनी के दो एक्सपर्ट प्रवीन और बलविंदर हीरो बन गए। दोनों ने 45 मीटर से अधिक भीतर पाइप में घुसकर करीब दो घंटे में सभी सरियों को काटा डाला।
सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि बुधवार देर रात ड्रिल मशीन के सामने लोहे की रॉड और गाटर आ गए थे। पहले एनडीआरएफ के जवानों ने भीतर घुसकर देखा। इसके बाद एक टीम इसे काटने के लिए भीतर गई लेकिन सफल नहीं हो पाई। फिर दूसरी टीम भीतर गई जो असफल रही।
डॉ. खैरवाल ने बताया कि इसके बाद अभियान में शामिल ट्रंचलेस कंपनी के दो एक्सपर्ट प्रवीन और बलविंदर बुलाए गए। इन दोनों ने मिलकर लोहे को गैस कटर से काटने का काम किया। 800 मिमी के पाइप में 45 मीटर से अधिक अंदर जाने पर ऑक्सीजन पहले ही कम हो जाती है।
ऊपर से गैस कटर चलाने पर ऑक्सीजन किल्लत और गर्माहट बढ़ती है। इन हालात में भी करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद उन्होंने लोहा काट दिया और मशीन के आगे बढ़ने की राह तैयार कर दी। डॉ. खैरवाल ने बताया कि इस लोहे की वजह से करीब सात घंटे तक अभियान रुका रहा। सुबह दोबारा ड्रिल मशीन चलाई गई।
हालांकि, सुरंग के भीतर पाइप डालने का काम अभी तक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है, फिर भी नेशनल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) बाकी सभी प्लान के लिए मशीनें जुटाने में लगा है।
बृहस्पतिवार को भी कई डि्ल मशीनें सिलक्यारा बैंड पहुंचीं। मजदूरों को सुरंग के भीतर से बचाने के अभियान को झटका लगने के बाद तय किया गया था कि पांच अन्य विकल्पों पर काम किया जाएगा और मजदूरों को बचाया जाएगा।