तिल्दा नेवरा -कलयुग के इस समय में व्यक्ति धार्मिक कर्मों से दूर होते जा रहा है ,इस कलयुग में पापों से मुक्ति पाने के लिए दान सबसे उत्तम साधन बताया गया है. जीवन में कभी भी किसी के मदद करने में पीछे नहीं होना चाहिए. ऐसा नहीं कि आप ज्यादा दान कर दें. बल्कि आप अपनी क्षमता अनुसार ही दान पुण्य करें। कलयुग में दान का बहुत महत्व है लेकिन कुपात्र को दान नहीं देना चाहिए, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति दान करता है उसका फल उसे स्वर्ग लोक में मिलता है, लेकिन दान कभी भी उसको दे जिनको उसकी जरूरत हो, कुपात्र व्यक्ति को दान कतई ना दें इससे दान का कोई महत्व नहीं रह जाएगा..
उक्त बातें मंगलवार को बनिया पारा में सुभाष चंद्र केसरवानी के निवास पर चल रही शिव महापुराण कथा के आठवें दिन कथावाचक आचार्य नरेंद्र रामदास ने अपने मुखारविंद से श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कहीं।आचार्य ने कथा में उपमन्यु का प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि ऋषि उपमन्यु के कहने पर भगवान श्री कृष्ण ने 16 माह तक भगवान शिव का उपासना कर उनसे 8 वरदान प्राप्त किए… भगवान शिव सांब के रूप में कृष्ण का पुत्र हुआ|

