Tuesday, July 8, 2025
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ये अहंकार नहीं…’, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में क्यों शामिल नहीं हुए शंकराचार्य, स्वामी निश्चलानंद ने बताई वजह

वीसीएन टाइम्स से चर्चा करते हुए उन्होंने धर्म से लेकर सियासत पर खुलकर बोले .स्वामी निश्चलानंद

इन्दर कोटवानी

तिल्दा नेवरा-पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती इन दोनों छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं.तिल्दा विकासखंड के ग्राम मुरा में तीन दिवसीय विशाल हिंदू राष्ट्र धर्म सभा में शामिल होने के बाद शुक्रवार को वे इंटरसिटी एक्सप्रेस से दुर्ग के लिए रवाना हुए.।इस बीच उन्होंने पत्रिका से चर्चा करते हुए धर्म से लेकर सियासत पर खुलकर बोला

वही अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में रामलाल की मूर्ति स्थापना में शामिल नहीं होने की बात पर बोले जब सब कुछ दो लोग कर रहे थे तो हम क्या बाहर बैठकर तालियां बजाने के लिए जाते. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय यह सच्चाई स्वीकार करें कि हिंदुओं से ज्यादा उन्हें अधिकार मिले हुए हैं. उन्होंने नक्सलवाद समस्या पर कहा कि पक्ष और विपक्ष नक्सलियों को समर्थन देना बंद कर दे तो समस्या का हाल अपने आप समाप्त हो जाएगा।

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि- उन्होंने मुरा में आयोजित धर्म सभा में  आई भीड़ को लेकर कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों में धर्म के प्रति आस्था बढी है। लेकिन छत्तीसगढ़ में बड़ी समस्या नक्सलवाद की है,इससमस्या का हल हो सकता है,बशर्ते पक्ष और विपक्ष दोनों नक्सलियों को समर्थन देना बंद कर दें।एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि भारत में मुस्लिम समुदाय यह सच्चाई स्वीकार करें कि हिंदुओं से ज्यादा उन्हें अधिकार मिले हुए हैं।

यह पूछे जाने पर की अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में वे क्यों नहीं शामिल हुए? इस पर निचलानंद सरस्वती ने कहा शंकराचार्य की अपनी गरिमा होती है.यह अहंकार नहीं है. उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि हमारे पास निमंत्रण आया था,कि आप एक व्यक्ति के साथ उद्घाटन में आ सकते हैं ।निमंत्रण देने वाला उत्तर प्रदेश का कोई योगी और एक अन्य देश का व्यक्ति था. हम आमंत्रण से नहीं कार्यक्रम से सहमत नहीं थे . उन्होंने कहा, प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए था .कौन मूर्ति को स्पर्श करे, कौन ना करे. कौन प्रतिष्ठा करे, कौन प्रतिष्ठा ना करे? स्कंद पुराण में लिखा है, देवी-देवताओं की जो मूर्तियां होती हैं,जिसको श्रीमद्भागवत में अरसा विग्रह कहा गया है.उसमें देवता के तेज प्रतिष्ठित तब होते हैं जब विधि-विधान से प्रतिष्ठा हो.अब हमें यह बताएं कि जब रामलला की मूर्ति की स्थापना प्रधानमंत्री के द्वारा की जानी थी तो. क्या हम सिर्फ तालियां बजाने थोड़ी जाते।

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी के पैर में तकलीफ होने कारण हुए सड़क मार्ग से दुर्गा न जाकर इंटरसिटी से दुर्गा के लिए रवाना हुए। इस मौके पर मुरा में आयोजित धर्म सभा के आयोजन पूर्व इस गणेश शंकर मिश्रा और जिला पंचायत सदस्य भाजपा नेता राजू शर्मा सहित कई अन्य लोग मौजूद थे

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