छत्तीसगढ़ चुनाव में बीजेपी का फोकस जीरो लैंड पर है. बीजेपी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को उनके ही गढ़ में घेरने की तैयारी में है.
रायपुर-छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अब तीन महीने से भी कम समय बचा है. चुनाव करीब आते ही सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं. सत्ताधारी कांग्रेस जहां युवा संवाद, भरोसे का सम्मेलन जैसे आयोजनों के जरिए जनता के बीच पैठ मजबूत करने की कवायद में है.है. वहीं बीजेपी भी परिवर्तन यात्रा के जरिए सरकार की विफलताएं, केंद्र सरकार की उपलब्धियां लेकर जनता के बीच जाने को तैयार है.
बीजेपी का प्लान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को उनके ही गढ़ में घेरने की है. पार्टी का फोकस जीरो लैंड यानी उन इलाकों पर है जिन इलाकों में पार्टी अभी शून्य सीट पर है. छत्तीसगढ़ के दो संभाग ऐसे हैं जहां की एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं है. बीजेपी ने अब ऐसे संभाग साधने औरअपनी सीटों के लिहाज से बंजर इस सियासी जमीन पर वोटों की फसल उगाने, कुछ सीटें पाने के लिए नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है.
बीजेपी का फोकस जीरो लैंड पर किस कदर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी सूबे में दो परिवर्तन यात्राएं निकालने जा रही है और इन दोनों ही यात्राओं की शुरुआत के लिए जीरो लैंड के इलाकों को ही चुना गया है. बीजेपी की पहली परिवर्तन यात्रा आज यानी 12 सितंबर को बस्तर जिले के दंतेवाड़ा से शुरू हो रही है. दूसरी यात्रा की शुरुआत 15 सितंबर को जशपुर से होगी. दंतेवाड़ा बस्तर संभाग में आता है जबकि जशपुर सरगुजा संभाग में. 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा की 26 सीटें इन्हीं दो संभाग में हैं.
बस्तर से शाह, जशपुर से यात्रा की शुरुआत करेंगे नड्डा
गृह मंत्री अमित शाह 12 सितंबर को बस्तर जिले के दंतेवाड़ा से बीजेपी की पहली परिवर्तन यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. गृह मंत्री शाह दंतेवाड़ा में जनसभा को भी संबोधित करेंगे. इससे पहले शाह के मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन-पूजन करने का भी कार्यक्रम है. गौरतलब है कि दंतेवाड़ा, बस्तर संभाग में आता है जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह संभाग भी है. दूसरी परिवर्तन यात्रा जशपुर से निकलेगीजिसे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा हरी झंडी दिखाएंगे. जशपुर, सरगुजा संभाग में आता है जो डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का संभाग है.
बस्तर और सरगुजा संभाग पर क्यों है बीजेपी का फोकस
बीजेपी राजस्थान में चारो दिशाओं से चार परिवर्तन निकाल रही है. मध्य प्रदेश में भी क्षेत्रीय समीकरण साधने की कवायद में पार्टी पांच जन आशीर्वाद यात्राएं निकाल रही है. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि पांच संभाग वाले छत्तीसगढ़ में बस दो परिवर्तन यात्राएं और बस्तर-सरगुजा संभाग पर ही फोकस क्यों? विधानसभा के आंकड़े और छत्तीसगढ़ सरकार के नेतृत्व पर गौर करें तो तस्वीर और बीजेपी की रणनीति, दोनों ही स्पष्ट हो जाते हैं…
छत्तीसगढ़ विधानसभा की कुल 90 में से 26 विधानसभा सीटें सरगुजा और बस्तर संभाग से आती हैं. बीजेपी के सरगुजा और बस्तर पर फोकस के पीछे एक वजह ये है कि पार्टी 26 सीटों वाले इन दोनों संभाग में शून्य सीटों पर है. सरगुजा संभाग में 14 सीटें हैं जहां 2018 चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था.छत्तीसगढ़ की सियासत में कहा जाता है कि सत्ता का रास्ता सरगुजा से होकर ही गुजरता है. बीजेपी इस संभाग में खोई जगह पाना चाहती है.
बस्तर की बात करें तो इस संभाग में कुल 12 विधानसभा सीटें हैं. 2018 में बीजेपी केवल एक सीट दंतेवाड़ा जीत सकी थी. लोकसभा चुनाव के समय विधायक भीमा मंडावीकी हत्या के बाद हुए उपचुनाव में पार्टी ये सीट भी गंवा बैठी और शून्य पर आ गई. पार्टी को जीरो लैंड से बड़ी उम्मीदें हैं और इसीलिए पार्टी का फोकस इन दोनो.इन दोनों संभाग पर अधिक है. एक पहलू ये भी है कि दोनों ही संभाग आदिवासी बाहुल्य हैं. बीजेपी की कोशिश छिटके आदिवासी मतदाताओं को फिर से अपने साथ लाने की है ..
सीएम-डिप्टी सीएम को उनके गढ़ में घेरने की रणनीति
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर संभाग से ही आते हैं. वहीं, सरगुजा डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का गढ़ है. बीजेपी के इन दो संभाग पर फोकस के पीछे छत्तीसगढ़ सरकार के सीएम और डिप्टी सीएम की मजबूत किलेबंदी कर उनके ही गढ़ में घेरने की रणनीति को वजहबताया जा रहा है. एक पहलू ये भी है कि सीएम और डिप्टी सीएम के गढ़ में सक्रिय होने का मतलब है संदेश पूरे प्रदेश में जाएगा.
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा कि बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता साढ़े चार साल तक लगभग निष्क्रिय रहे, जनता से पूरी तरह कटे रहे. रमन सिंह के चेहरे में वैसा जादू नहीं रहा जो शुरुआती दो कार्यकाल में था. प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के चेहरे में भी वो बात नजर नहीं आती जो चुनाव जिताकर ला सके. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व की
सक्रियता और अमित शाह के ताबड़तोड़ दौरों के बाद पार्टी के नेता एक्टिव जरूर नजर आ रहे हैं लेकिन ये सक्रियता पार्टी के लिए कितना फायदेमंद होगी? ये
ऐसेआक्रामक प्रचार रणनीति बीजेपी, खासकर अमित शाह की खासियत है. सूबे के नेताओं को एक्टिव मोड में लाने के बाद बीजेपी ने अब सीएम और डिप्टी सीएम के गढ़ को ही टारगेट कर लिया है. सरगुजा और बस्तर संभाग में अगर पार्टी बेहतर स्थिति में आती है तो बाकी के इलाकों में भी सकारात्मक संदेश जाएगा. बीजेपी इसीलिए उस इलाके पर फोकस कर रही है जहां कांग्रेस सबसे मजबूत है.
बस्तर और सरगुजा में उगेगी सीटों की फसल?
बस्तर और सरगुजा संभाग बीजेपी के लिए जीरो लैंड है. यहां बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं और पाने के लिए 26 सीटें हैं. पार्टी को इस जीरो लैंड से बड़ी उम्मीदें हैं. बीजेपी की आक्रामक रणनीति कितना रंग लाती है? जीरों लैंड पर पार्टी वोटों की फसल उगा कितनी सीटें काटने में सफल हो पाती.है? ये देखने वाली बात होगी