Friday, July 4, 2025
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डिलीवरी का अनोखा केस, महिला ने 3 बच्चों को दिया जन्म… एक बलरामपुर में तो दो 80 किमी दूर अंबिकापुर में हुए

प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र में एक अनोखी घटना हुई है, जहां एक प्रसूता ने 3 बच्चों को जन्म दिया है। खास बात यह की महिला ने दो अलग-अलग अस्पतालों में इन बच्चों को जन्म दिया है, जिनके बीच 80 किलोमीटर का फासला था। दरअसल, पहले बच्चे के जन्म के बाद बलरामपुर के डॉक्टरों ने परिस्थिति गंभीरता को देखते हुए प्रसूता को अंबिकापुर रैफर कर दिया।

बलरामपुर जिले के रामानुजगंज क्षेत्र के एक छोटे से गांव देवीगंज की रहने वाली सूरजमणी ने हाल ही में एक जटिल परिस्थिति में तीन शिशु को जन्म दिया। इस प्रसव को चिकित्सकीय दृष्टिकोण से रेयर केस माना जा रहा है। महिला ने 3 बच्चों को जन्म दिया, उससे खास बात यह है कि प्रसूता ने 3 बच्चों को दो अलग-अलग अस्पतालों में जन्म दिया है।

बता दें, इस महिला ने एक शिशु को बलरामपुर जिला अस्पताल में जन्म दिया और दो अन्य शिशुओं को अंबिकापुर के नए बस स्टैंड स्थित संजीवनी अस्पताल में जन्म दिया है। तीनों बच्चे स्वस्थ हैं और प्रसूता भी स्वस्थ है। तीनों बच्चों को पाकर पूरा परिवार गदगद है। यह परिवार पूर्व महापौर डॉक्टर अजय तिर्की के गृह ग्राम के हैं।

डॉक्टर अजय तिर्की ने बताया कि प्रसव की जिम्मेदारी संजीवनी अस्पताल की डॉ भावना गार्डिया की टीम ने संभाली थी। नर्सिंग स्टाफ की तत्परता और अनुभव ने इस चुनौतीपूर्ण केस को सफल बनाया। इससे पहले सुरजमणी का पहला प्रसव बलरामपुर में हुआ था, लेकिन स्थिति काफी जटिल थी। लेकिन परिस्थिति की जटिलता को देखते हुए प्रसूता को जल्दी से अंबिकापुर लाया गया।

डॉक्टरों के अनुसार, ग्रामीण परिवेश, सीमित संसाधनों और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बावजूद बलरामपुर के डाक्टरों की सूझबूझ के कारण एक बच्चा वहीं जन्म लिया, किंतु गंभीर स्थिति को देखते हुए अंबिकापुर रेफर किया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यहां के चिकित्सकों ने प्रसूता के साथ बच्चों की भी जान बचाई है।

अब मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। तीनों बच्चे व प्रसूता को लेकर परिवार वापस लौट गया है। स्थानीय लोगों ने डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की प्रशंसा की है। इसे इस क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक मिसाल बताया है।

प्रसूता की डिलीवरी करवाने वाली डॉक्टर भावना गार्डिया ने बताया कि यह एक बड़ा चुनौती भरा काम था। ऐसा केस कम ही आता है कि एक शिशु 80 किलोमीटर दूर अस्पताल में जन्में और दो शिशु दूसरे अस्पताल में जन्में, लेकिन समय रहते उचित निर्णय और टीम की मेहनत से सब कुछ ठीक हुआ।

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