Saturday, November 8, 2025
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तिल्दा नेवरा ब्लॉक के स्कूलों का हाल बेहाल:लापरवाह शिक्षकों पर एक्शन कब ! टीचर नहीं आते समय पर स्कूल..

तिल्दा नेवरा -कहते हैं कि किसी भी प्रदेश का असल मायने में विकास तब होता है जब वहां की शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी चीज मजबूत हो. लेकिन छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे नजर आ रही है जिन शिक्षकों के कंधों पर नव निहालों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी है फिलहाल उसे वह ठीक तरीके से नहीं निभा रहे हैं।

जिसके कारण सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही है. शिक्षकों की लापरवाही के चलते बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। आईए आज हम आपको बताते हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे तिल्दा विकासखंड के स्कूलों का हाल। तिल्दा विकासखंड के स्कूलों में शिक्षक बच्चों को किस तरह से शिक्षा दे रहे हैं,, देखते है इस खबर में ………

तुलसी नेवरा मिडिल स्कुल छात्राए पढ़ते हुए

एक तरफ स्कूलों में युक्ति युक्त करण रैशनलाइजेशन के तहत माहौल गरमाया हुआ है। प्रदेश में शिक्षक विहीन, एकल शिक्षक और छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार आवश्यकता के आधार पर स्कूलों में शिक्षकों के पद स्थापना के आदेश जारी किए गए हैं बावजूद शिक्षकों ने स्कूलों में पदभार ग्रहण नहीं किया है. युक्ति युक्तकारण के बाद कई स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति तो हुई है,बावजूद स्कूलों की स्थिति नहीं सुधरी है, हालांकि अभी भी कई ऐसे स्कूल हैं जहां केवल एक ही शिक्षक है जो शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी हुई है लेकिन, उससे बड़ी चुनौती यह है कि शिक्षक मनमाने तरीके से नौकरी कर रहे हैं, और शासकीय नियमों को ठेंगा दिखाकर देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

ये जो तस्वीर आपने देखी ये रायपुर जिले के तिल्दा ब्लॉक के स्कूलो की है ..एक  दर्जन से भी अधिक इन स्कूलों की तस्वीर VCN टाइम्स के द्वारा स्कूलों में जाकर ली गई है। इन तस्वीरों को देखकर स्थिति साफ हो जाएगी की छत्तीसगढ़ के स्कूलों की हालत क्या है।

तिल्दा  ब्लॉक में 167 प्राइमरी और 99 पूर्व माध्यमिक शालाएं संचालित है। प्राइमरी स्कूलों में लगभग 16 हजार  बच्चे अध्यनरत इन्हें पढ़ाने के लिए 617 शिक्षकों पर जिम्मेदारी है अर्थात पदस्थ है। जबकि मिडिल स्कूल में 11हजार  बच्चों के नाम दर्ज हैं मिडिल स्कूल में 408 शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं।..बच्चों की दर्ज संख्या के अनुपात प्राइमरी स्कूलों में तो शिक्षकों की पदस्थापना कुछ हद तक ठीक है लेकिन …मिडिल स्कूल में शिक्षकों की संख्या नियमानुसार आधे से भी कम  है।


जिले के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। शिक्षकों की लापरवाही के चलते बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक समय पर नहीं पहुंच रहे हैं, जबकि कई बार तो वे पूरी तरह अनुपस्थित रहते है ,,। रलवे समय सारणी के अनुसार आते है और चले जाते है … ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। …

जिले भर में स्कूलों की नियमित निगरानी नहीं होने के कारण यह समस्या और गहरी होती जा रही है। शिक्षकों की गैरहाजिरी से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिससे उनके परीक्षा परिणामों पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।

अभिभावकों ने भी शिक्षकों की इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की है। वे लगातार शिक्षा विभाग से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।स्कुलो का नया सत्र शुरू हुए लगभग डेढ़ महीने का वक्त गुजर चूका है..लेकिन अभी भी बच्चो को किताबे बाटने का कार्य चल रहा है ..

स्कुलो की जमीनी हकीकत को देखने वीसीएन की टीम जब तुलसी नेवरा स्कुल पहुंची तो किसी भी क्लास में शिसक नही थे क्लास में बच्चे टीचर बनकर पढ़ा रहे थे ,बच्चो ने बताया टीचर आफिस में किताबो की स्नेनिग कर रहे है ….इसी तरह की स्थिति बहेसर के स्कुलो में दिखी.यहा भी बच्चे स्वयं ही पढ़ रहे थे ..एक क्लास में हेड मास्टर बच्चो को पढ़ा रहा था ,दो मेडम आफिस की टेबल पर बैठकर कुछ काम कर रही थी. ….यहां से वीसीएन की टीम ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पहुंची, लेकिन शिक्षा अधिकारी दफ्तर में मौजूद नहीं थे, पूछने पर बताया गया कि आज नहीं आए हैं वे दौरे पर हैं..

यहा हमारी  टीम तिल्दा के कोहका प्राइमरी और मिडिल स्कूल पहुंची । यहां एक क्लास को छोड़ बाकी सभी क्लास भगवान भरोसे चल रहे थे  बच्चे खेल रहे थे,  क्लास में छात्र-छात्राएं टीचर की भूमिका निभा रहे थे।याने की पढने आए बच्चे अपने सहपाठी बच्चो को पढ़ा रहे थे ..  वही पहली क्लास में पढ़ा रही एक टीचर बच्चों के साथ बैठी मोबाइल देख रही थी। कैमरे को देख क्लास से  उठकर अंदरके दरवाजे से ऑफिस चली गई।

कोहका प्राइमरी स्कूल पहली क्लास में टीचर बच्चों के साथ बैठी मोबाइल देखते हुए

कोहका मिडिल स्कूल

दूसरे दिन टीम सिरवे स्कूल पहुंची दोपहर 2 बज रहे थे, मामूली बारिश हो रही थी बच्चों की छुट्टी कर हेड मास्टर आवेदन लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय जा रहे थे उन्होंने बताया कि बच्चों को इसलिए छुट्टी दी गई है कि कमरों में पानी से सीपेज होने के कारण करंट जैसे झटके आ रहे है ।उन्होंने बताया स्कूल के ज्यादातर कमरों की हालत जर्जर थी, यहां की ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल का हेड मास्टर बच्चों को रविवार को भी निशुल्क पढ़ने स्कूल आता है।

ओमप्रकाश वर्मा सिरवे हेड मासटर

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय जा रहे हेड मास्टर के साथ हमारी टीम भी शिक्षा अधिकारी के दफ्तर पहुंचे लेकिन साहब उस दिन भी  दफ्तर पर मौजूद नहीं थे । जब हम वहां के बड़े बाबू से इस संदर्भ में पूछा तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि इसके बारे में मैं नहीं जानता।

तिल्दाब्लॉक शिक्षा अधिकारी का दफ्तर खुला है लेकिन वे दफ्तर में मौजूद नहीं

शिक्षा अधिकारी के कमरे लगे कमरे में एबीओ का दफ्तर था जहां, जाहिरे साहब पेपर वर्क  करते नजर आए, जब उनसे पूछा गया कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का दफ्तर खुला है लेकिन वे दफ्तर में मौजूद नहीं है तो उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है.,साहब या तो दौरे पर होंगे या किसी अन्य ऑफिशियल कार्य में व्यस्त होंगे।उनसे यह पूछे जाने पर कि आज कई स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंचे हैं तो उन्होंने बताया कि हमें इसकी जानकारी नहीं है यदि बिना छुट्टी के टीचर स्कूल नहीं आए होंगे तो हम इसकी जांच करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।

ABO .LK जाहिरे

इसके अलावा हमारी टीम कई और स्कूलों में भी गई जब टीम ग्राम रजिया के मेडिकल स्कूल पहुंची तो वहां महिला टीचर मोबाइल पर व्यस्त थी। पहले तो हमने समझा कि वह मोबाइल से टाइम पास कर रही है लेकिन बाद में पता चला कि पिछले 4 दिनों से उन्हें 2 बजे से 3 तक 1 घंटे की विभाग की ओर से ट्रेनिंग दी जाती है

रजिया

।कई स्कूलों में बताया गया कि यहां टीचर कम है, कहीं बताया गया कि यहां टीचर समय पर नहीं आते हैं, कुछ ने कहा भैया सरकारी स्कूल है भगवान भरोसे चल रहे हैं। एक ग्रामीण ने कहा स्कूल जर्जर रहे टीचर आए या ना आए बच्चों की संख्या रहे ना रहे लेकिन, स्कूलों में महंगा शेड जरूर बनाया गया है।

अभी तक अपने शहर से लगे गांव की स्कूलों की स्थिति को देखा अब जरा देखते हैं तिल्दा नेवरा शहर के स्कूलों की। सबसे पहले हम सासा होली प्राथमिक शाला पहुंचे, यहां एक क्लास में बच्चों बच्चों को पढ़ा रहे थे, टीम को देखकर मैडम क्लास पहुंच गई,

तिल्दा बस्ती प्राथमिक शाला में भी एक छात्र अन्य छात्रों को पढ़ा रहा था , एक छात्रा पढ़ाई के बीच झाड़ू लगा रही थी। जब टीचर के बारे में पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि ऑफिस में बैठे हुए हैं ‌

तिल्दा बस्ती प्राथमिक शाला झाड़ू लगाते हुएछात्रा

यहां से हम शहर के हेमू कलानी स्कूल पहुंचे पता चला कि हेड मास्टर छुट्टी पर है। पहली दूसरी क्लास को एक ही शिक्षक पढ़ा रहा था।स्कूलों की दयनीय स्थिति और टीचरों की लापरवाही के चलते छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। शिक्षक ने स्कूल में टाइम से आते हैं ना ही उनके जाने का कोई टाइम होता है। सरकारी स्कूलों आलम यह है की पांचवी पढ़ने कई बच्चे 20 तक का पहाड़ा नहीं पढ़ पाते हैं।शिक्षकों की क्लास में गैर हाजिरी और लापरवाही के चलते बच्चे क्लास के अंदर ही पढ़ने के बजाय या खेलते नजर आते हैं या बाहर घूमते दिखते हैं।

शिक्षा विभाग के दफ्तर में बैठे अफसरो को कोई लेना देना नहीं है। क्यों कि वे  मुश्किल से स्वयं एक हफ्ते में एक बार  दफ्तर आते हैं।VCN टाइम्स के द्वारा ग्राउंड रिपोर्ट के लिए स्कूलों में जाकर जा जा लिया गया रजिया पूर्व माध्यमिक शाला और सिंदौधा प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला को छोड़कर बाकी सभी स्कूलों के क्लास में बच्चों बच्चों को पढ़ाते दिखे। बहर और तुलसी में टीचर तो स्कूल आए थे लेकिन वह ऑफिशियल कार्य में व्यस्त दिखे

एक रिटायर्ड टीचर ने बताया कि स्कूलों की हालत काफी खराब है बच्चों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है जो मास्टर स्कूल में पढ़ते हैं वह स्वयं अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं। उन्होंने कहा कि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में सरकारी स्कूलों मैं बच्चों की संख्या आधी हो जाएगी ब्यूरो रिपोर्ट वीसीएन टाइम्स तिल्दा नेवरा।

 

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