इंदर कोटवानी,
तिल्दा पुलिस आरोपी नहीं ग्राहक तलाशती है..जांच अधिकारी ने कहा समझाइश देकर आरोपियों को छोड़ दिया
तिल्दा नेवरा -तिल्दा नेवरा थाना में पदस्थ कुछ पुलिसअधिकारी और कर्मी काफी चर्चा में है..बेगुनाहों को जेल भेजना और गुनहगारों को थाने से छोड़ देना आम बात हो गई है.। लोग तो यहां तक कहने लगे हैं कि तिल्दा पुलिस आरोपी नहीं ग्राहकों की तलाश करती है…।ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है जो पुलिस कार्यवाही पर सवाल उठना लाजिमी है। चंद पैसों के लिए पुलिस इतनी बेरहम हो सकती है इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है ..
मिली जानकारी के अनुसार वार्ड 20 में तिल्दा रेलवे फाटक के पास एक महिला के द्वारा झोपड़ी नुमा घर बनाकर होटल का संचालन किया जाता है। दो-तीन बार झोपड़ी में आग लगने से दहशत में रह रही महिला ने एक आदिवासी बुजुर्ग भागवत ध्रुव को रात को होटल की चौकीदारी करने के लिए लगाया था । निहायत गरीब भागवत पिछले कुछ दिनों से चौकीदारी के लिए होटल के अंदर सोता ता आ रहा था।
बताया जाता है शुक्रवार की रात लगभग 2:30 बजे 5 दबंग युवक होटल के पास पहुंचे और दरवाजे को खटखटाते हुए गुटका की मांग करने लगे।भागवत ने मलिक के न होने की बात कह कर गुटखा देने से इनकार करते हुए दरवाजा नहीं खोला। तब नशे की हालत में वे गाली गलौज करते हुए दरवाजे को खोलने जिद्द करने लगे इसी बीच युवको ने दरवाजे को को तोड़ दिया और भागवत पर लात घुसे बरसाने लगे।बुजुर्ग होने के बाद भी युवक उसकी बेरहमी के साथ पिटाई करते रहे कुश देर में भागवत बेहोश हो गया.. उसके बाद सभी युवक उसे मारा समझ कर भाग निकले।
उधर रोज की तरह मालकिन जब सुबह 4बजे होटल खोलने पहुंची तो देखा कि चौकीदार खून से लथपथ बेहोसही हालत में होटल के दरवाजा के सामने पड़ा हुआ था। होटल मालिक महिला होने कारण डर गई उन्होंने तत्काल अपने बेटियों को बुला लिया,उसके बाद सुबह लगभग 4:30 बजे बुजुर्ग को घायल अवस्था में थाने ले गए, जहां बैठे ए एसआई बी एल देवांगन ने तत्काल अस्पताल भिजवाया, प्राथमिक उपचार के बाद वापस रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचा तो उसे दोपहर बाद आने की बात कह कर चलता कर दिया।
उधर जानकारी मिलने के बाद जब पुलिस से संपर्क किया गया तो थाने में इस मामले का कहीं पर भी उल्लेख नहीं था। वहां पदस्थ सब इंस्पेक्टर डीडी मानिकपुरी से जब इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने अनभीज्ञता जताते हुए कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। थाने में पदस्थ मुंशी ने भी जानकारी नहीं होने की बात कही, इसी तरह की बातें वहां बैठे मददगार ने भी कहीं। इतना ही नहीं पुलिस थाने में उल्टा पुलिस कर्मी और अधिकारी संवाददाता से ही पूछने लगे कि मामला कहां का और कब का है।
तब पता चला कि मामले की जांच ऐ.एस.आई बी एल देवांगन के द्वारा की जा रही है। जब उनसे रिपोर्ट के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने इस मामले में एक युवक पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है और एक युवक की हम तलाश कर रहे हैं, इस घटना में चार लोग थे इनमें नाबालिक है।.. जिसे मेरे द्वरा समजाइस देकर हमने वापस भेज दिया है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस ने भागवत के साथ मारपीट करने वाले दबंगो के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं की.. देवांगन ने समझाइस देकर आखिर थाने से ही आरोपियों को क्यों छोड़ दिया..। घर के अंदर घुसकर मारपीट करना गंभीर अपराध माना जाता है.. लेकिन जांच कर रहे देवागन ने मात्र 151 प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें एसडीएम के पास पेश कर दिया, और उसे तत्काल जमानत भी मिल गई।जबकि नियम अनुसार आरोपीय बुक के विरुद्ध 452 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाना था लेकिन जांच अधिकारी भरत देवांगन ने ऐसा नहीं किया
तिल्दा थाना में इस तरह के कई मामले सामने आचु के हैं, जिसमें पुलिस अपराधियों को थाने से ही छोड़ देती है,और इस एवज में उसके साथ पुलिस बड़ी लेनदेन करती है। मारपीट करने वाले युवक की संख्या प्रार्थी ने पांच बताई थी और सीसीटीवी कैमरे में भी युवक कैद हुए हैं ,उसके बाद भी पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं की गई..।
इस मामले को लेकर आदिवासी समाज की जल्द ही बैठक होने वाली है और यह मामला काफी तूल पकड़ सकता है। एक तरफ रायपुर में एसपी गुंडो को पकड़ने के लिए अभियान चला रहे हैं, दूसरी तरफ तिल्दा पुलिस गुंडो को थाने से ही छोड़ रही है..। तिल्दा में अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं घर के मामूली झगड़ों में पुलिस इस तरह घर वालों को उठा कर ले आती है जैसे उसने हत्या कर दी हो. सुबह से थाने लाकर देर रात तब छोड़ जाता है जब उनके साथ सौदा पूरी तरह हो जाता है। गंभीर रूप से घायल भागवत ने कहा कि मैं गरीब हूं इसीलिए पुलिस उन दबंग पर कार्रवाई नहीं कर रही है यह दबंग यहां से तो बच जाएंगे लेकिन भगवान की मार से नहीं बच पाएंगे और इसका अंजाम इन दबंगों को साथ देने वाले पुलिसकर्मियों को भी भुगतना पड़ेगा