रायपुर-तिल्दा नेवरा ..शासन ने धान खरीदी प्रक्रिया को निर्बाध रखने के लिए सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाते हुए एस्मा (छत्तीसगढ़ आवश्यक सेवा संरक्षण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979) लागू किया है। एस्मा के तहत बिना वारंट गिरफ्तारी का भी प्रावधान है। शासन ने सभी संबंधित कर्मचारियों को पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि खरीदी कार्य को बाधित करना दंडनीय होगा।सभी कर्मचारियों को हड़ताल खत्म कर धान खरीदी के लिए मंडियों में लौटने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद कर्मचारी वापस नहीं लौट रहे हैं, जिसके बाद सरकार एक्शन में आ गई है।
रायपुर कलेक्टर ने जिले में राशन दुकानों का आवंटन निरस्त करने का सबसे बड़ा फैसला लिया गया है ।रविवार छुट्टी का दिन होने के बावजूद जिले में धान खरीदी में सहयोग नहीं करने वाली सहकारी समितियों की ओर से संचालित 250 राशन दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया है। अभी इन दुकानों का संचालन वहीं की ग्राम पंचायतों को दे दिया गया है। पंचायतों से कहा गया है कि वे अपने लोगों की मदद से राशन दुकानों का संचालन करें।
कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह को लगातार इस बात की शिकायत मिल रही थी कि सहकारी समितियां धान खरीदी करने में बिना वजह व्यवधान पैदा कर रही हैं। किसानों को धान बेचने से भी रोक रहे थे। इतना ही नहीं मंडियों में पहुंचने वाले किसानों को कई तरह की बातें बताकर वापस किया जा रहा था। लगातार इस तरह की शिकायत मिलने के बाद ही कलेक्टर ने आदेश जारी किया कि अब रायपुर जिले में जिन 250 राशन दुकानों का संचालन सहकारी समितियां कर रही थी उनका संचालन अब ग्राम पंचायत वाले करेंगे।
दूसरी तरफ रायपुर के पुरानी बस्ती, खरोरा, धरसींवा और तिल्दा-नेवरा थानों में दर्जनभर कर्मचारियों पर छत्तीसगढ़ अति आवश्यक सेवा संधारण व विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के तहत केस दर्ज किया गया है। एस्मा के आदेश का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जा रही है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र में राजू दास, ओमप्रकाश माहले, विजय गुप्ता, सुवेश, आनंद सहित अन्य पर केस दर्ज किया गया है।
धरसींवा में बृज मोहन देवांगन, तिल्दा में रामकुमार वर्मा और पोषण लाल धुरंधर, जबकि खरोरा में कौशल वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। सभी कर्मचारी मंडियों में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं।
हड़ताली समिति प्रबंधकों को बड़ा झटका कलेक्टर के इस फैसले से हड़ताली सहकारी समिति प्रबंधकों को बड़ा झटका लगा है। समिति प्रबंधकों ने भी आरोप लगाया है कि हड़ताल तोड़ने के लिए ये फैसला लिया गया है। इस फैसले के बाद भी अभी तक हड़ताल खत्म करने की कोई सूचना जारी नहीं की गई है। ग्रामीण इलाकों में लंबे समय से दुकानों का संचालन सहकारी समितियां ही कर रही थी।

